रविवार, 12 जून 2016

हिन्दू और मुसलमानों को चैलेंज इन सवालो के जवाब दे?

सच VS झूठ

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1. राम तो त्रेता युग मे आये उससे पहले सतयुग मे कौन सा राम था...???

2. हिन्दुओ का पवित्र ग्रंथ गीता है किसी एक श्लोक का प्रमाण देकर बताये जिसमे ब्रह्मा विष्णु शिव दुर्गा की पूजा करने को कहा हो???

3. गीता मे किसी एक श्लोक का प्रमाण देकर बताये जिसमे तीर्थो धामो पर जाने को कहा हो स्नान करने को कहा हो???
होई करवाचौथ नवरात्रे आदि पूजा करने को कहा हो??? मंदिरो में पत्थर की पूजा करने को कहा हो?????

4. इस्लाम 1400 सालो से धरती पर आया है 1400 साल पहले जब इस्लाम नही था तब कौन सी कुरान पढते थे तब कौन तुम्हारा अल्लाह था?? कौन तुम्हारा पैग्मबर था..??क्या दुनिया को बने 1400 साल ही हुए है???
5. बाबा आदम को पैदा करने वाला अल्लाह कौन था ??

6. हजरत मुहम्मद जी सऊदी अरब के रहने वाले थे उन्होने इस्लाम को दुनिया मे फैलाया.. इसका मतलब है फिर तो सऊदी अरब को छोड़कर सभी देशो के मुसलमानो के पूर्वज हिंदु थे बाद मे मुसलमान बने???

4. अगर लिंग और मुछ कटवाने से कोई मुसलमान बन जाता तो अल्लाह लिंग और मुछ काटकर बच्चे को गर्भ से बाहर क्यो नही भेजता. ????

5.
जब बच्चा पैदा होता है तो वो ब्राह्मण होता है या शूद्र होता है अगर ब्राह्मण होता है तो नहा धोकर तिलक लगाकर गर्भ से बाहर क्यो नही आता...

गुरुवार, 26 मई 2016

पूजा भक्ति क्या और कैसे होती है


प्रश्न- कुछ लोग बोलते है कबीर साहेब ने मूर्ति पूजा का विरोध किया है.. रामपाल जी महाराज भी ऐसा ही कर रहे है?? रामपाल जी हिन्दू धर्म की पूजा को गलत बता रहे है???? उत्तर - देखिए कबीर साहेब ने ये कहा है फोटो मूर्ति का काम इतना होता है हमे भगवान की याद आती हैा लेकिन मूर्ति के सामने घंटी बजाना या मूर्ति को भोग लगाना पैसे चढाना रोज नहलाना कपडे पहराना मतलब मूर्ति पर आश्रित होना वो गलत है.. पूजा क्या होती है?? १.ध्यान -- जैसे हम मूर्ति या फोटो को देखते है भगवान की याद आती है .. भगवान को जितनी बार याद करते है उससेे ध्यान यज्ञ का फल मिलता है.. चाहे कही बैठ कर कर लो.. २..ज्ञान.... सुबह शाम आरती करना धार्मिक बुक गीता या कबीर नानक वाणी को पढना ये होती है ज्ञान यज्ञ.. इससे ज्ञान यज्ञ का फल मिलता है.. ३.हवन.... जैसे हम ज्योति लगाते है देशी घी की उससे हमे हवन यज्ञ का फल मिलता है... ४. धर्म... जैसे हम भंडारा आदि भूखे को भोजन कराते है उससे धर्म यज्ञ का फल मिलता है.. ५.. प्रणाम.. जो हम लम्बे लेट कर भगवान को प्रणाम करते है प्रणाम यज्ञ का फल मिलता है.. ये पांच यज्ञ करनी होती है साथ मे जो गुरू नाम (मंत्र )भी जाप करना होता है.. नाम(मंत्र) क्या होता है??? जिस इष्टदेव की आप पूजा करते हो उसका एक गुप्त आदि नाम होता है उसको मंत्र(नाम) बोलते है.. उदाहरण - जैसे नाग बिन के वश होता है बिन बजते ही सावधान हो जाता है.. ऐसे ही ये देवता भगवान अपने अपने मंत्र के वश होते है ... नारद ने ध्रुव को ऐसा मंत्र दिया था ध्रुव ने ऐसी कसक के साथ जाप किया था 6 महीने मे बिषणु को बुला दिया था.. ये 5 यज्ञ करना और साथ मे गुरूमंत्र का जाप करना ही पूजा करलाती है.. उदाहरण के लिए - आपका शरीर समझो खेत है .. पूजा मे ये गुरूमंत्र समझो बीज है ये पांच यज्ञ समझो खाद पानी निराई गुडाई है... अगर आप गुरूमंत्र जापकर रहे हो पांचो यज्ञ नही कर रहे हो तो आप ऐसे हो -- जैसे आप खेत मे बीज डाल रहे है खाद पानी नही दोगे तो बीज नही होगा.. आपका बीज डालना व्यर्थ है... और अगर आपने गुरूमंत्र नही लिया है केवल पांच यज्ञ ही कर रहे हो तो ऐसा है... जैसे खेत मे खाद पानी डाल रहे हो बीज आपने डाला ही नही तो खाद पानी डालना व्यर्थ है.. उससे घास फूस झाडिया ही उगेगी...फसल नही जैसे खेत मे बीज और खाद पानी डालना जरूरी है, वैसे ही भगवान की पूजा भगती मे गुरूमंत्र(बीज) और पांचो यज्ञ (खाद पानी) करने जरूरी है... रामपाल जी महाराज कबीर साहेब ने ऐसे पूजा करने को कहा है.. ये गीता वेद शास्त्रो मे ऐसे ही लिखी है...लेकिन हिन्दू धर्म के लोग इसके विपरीत कर रहे है ना तो वो गुरू बनाते है राम कृष्ण मीरा घ्रुव पहलाद सबने गुरू बनाया क्या वो पागल थे.. जिस इष्टदेव की पूजा करते है उनका मंत्र इनके पास नही है.. मंदिर की घंटी बजा कर फुल चढा कर पाच रूपये का प्रसाद बाटकर पूजा समझते है.. ओस के चाटने से प्यास नही बुझती.... रामपाल जी महाराज हमे सभी देवी देवताओ का आदर सत्कार करने को बोलते है... हम हिन्दू धर्म, वेद गीता , देवी देवताओ सबको मानते है सबका सत्कार करते हैा जैसे पतिवर्ता औरत पूजा अपने पति की करती है बाकी देवर जेठ जेठानी देवरानी सास ससुर सबका आदर करती है.. ऐसे ही हम पूजा कबीर साहेब पूर्णब्रह्म की करते है और सभी देवी देवता ब्रह्मा विषणु शिव दुर्गा ब्रह्म परब्रह्म सबका आदर सत्कार करते है.... ये संसार एक पेड की तरह है ये संसार के लोग संसार रूपी पेड के पत्ते है ३३ करोड देवी देवता छोटी छोटी टहनिया है..आगे ब्रह्मा बिषणु शिव तीन मोटी शाखा है आगे ब्रह्म( काल) निरंजन डार है आगे परब्रह्म तना है अागे पूर्णब्रह्म (कविर्देव) कबीर साहेब संसार रूपी पेड की जड है.... संत रामपाल जी महाराज ये नही कहते कि इन टहनी पत्तो डार शाखा को काट दो मतलब इन देवी देवताओ को छोड दो.. संत रामपाल जी ये कहते है आप केवल जड मे पानी डालो मतलब पूर्णब्रह्म कबीर साहेब की पूजा करो..गीता अ०-15 श्लोक 4 मे गीता ज्ञान दाता कह रहा है मै भी उसी आदि नारायण परमेश्वर की शरण मे हुँ. उसी की पूजा करनी चाहिये.. . जड पूरे पेड का center है जड के सामने सारे टहनी पत्ते शाखा डार तना सब भिखारी है.. जड मे पानी डालने से पूरे पेड को आहार मिलेगा पूरे पेड का विकास होगा.. एक पूर्णब्रह्म के सामने सब भिखारी है एक पूर्णब्रह्म की पूजा मे सब की पूजा हो जाती है जैसे जड मे पानी डालने से पूरे पेड का विकास हो जाता है... ये साधना शास्त्रानुकूल साधना है.. कबीर - एक साधे सब सधे, सब साधे सब जावे... माली सिंचे मूल को फले फूले अंगाहे... लेकिन दुनिया वाले क्या कर रहे है देवी देवताओ को पूजते है ये तो ऐसे है टहनी और शाखाओ मे पानी देना... जड मूल(पूर्णब्रह्म) का लोगो को मालूम नही है.. जड को छोड टहनियो शाखाओ मे पानी दोगे तो पेड सूखेगा ही... ये शास्त्रविरूद्ध साधना है.. ये तो ओस चाटना है ओस चाटने से प्यास नही बुझती...

सोमवार, 23 मई 2016

सच्चे संत की अकाल मौत कभी नहीं होती


संत सदगुरु और उनके शिष्य यदि किसी बीमारी या दुर्घटना से उनकी मृत्यु हो तो उनकी साधना ठीक नहीं है यानी शास्त्रविरुद्ध है क्योंकि शास्त्रविधि साधना करने वाले की अकाल मौत कभी नहीं होती है~ गीता अध्याय 16 श्लोक 23' निरंकारी बाबा हरदेव सिंह की एक बात याद आती है पहली तो बात संत हमेशा नाम के पीछे दास लगाते हैं कबीर दास तुलसी दास आदि.. बाबा हरदेव सिंह जी की कनाडा मे मुत्यु के दौरान कबीर परमेश्वर की वाणी याद आती है.. कबीर - कबीरा काहे गर्वयो काल गहे कर केश.. ना जाने कहा मारेगा क्या घर क्या परदेश.. कबीर परमेश्वर कहते है तुम किस चीज का घमंड करते हो काल बाल पकड़ कर ले जायेगा.. ना जाने घर मारेगा या परदेश मे मारेगा.. कबीर - कहा जन्मे कहा पाले पोसे कहा लडाये लाड.. ना जाने इस देही के कहा खिंडेगे हाड... किसी संत का भयानक बीमारी या दुर्घटना से मरने पर मन मे बहुत से सवाल खड़े होते हैं क्या फायदा ऐसी भक्ति साधना का जब गुरू जी ऐसी मौत मरे तो शिष्य कैसे सुरक्षित रह सकते है.. शिष्यों की हिफाजत की जिम्मेदारी कौन लेगा.. ?? निरंकारी मिशन का अगला उत्तराधिकारी कौन होगा?? क्योकि बाबा हरदेव सिंह जी को तो क्षर पुरुष ने इतना मौका ही नही दिया ताकी वे अपने बाद किसी को उत्तराधिकारी घोषित कर सके.??? जयगुरूदेव और निरंकारी मिशन का यहा पर आकर विराम लग जाता है.. मै किसी की आलोचना नही कर रहा हूँ परमात्मा का विधान बता रहा हूँ.. किसी को मेरी बात बुरी लगे तो माफी चाहता हूँ कबीरा खडा बाजार मे सबकी मांगे खैर ना काहु से दोस्ती ना काहु से बैर..

शनिवार, 21 मई 2016

आधे से ज्यादा जज आज भी भ्रष्ट हैं


क्या आप जानतें है कि हम एक secular देश मे रहते है । हर किसी को उसका जन्म और भारत का कानून यह हक देता है कि वो अपने धर्म व अपनी जाति को जब चाहे तब बदल सकता है । यहाँ तक कि प्रधानमत्रीं भी उसे मना नही कर सकता । हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का ना राष्ट्रपति हक रखते है और ना ही यह छोटे मोटे मुख्यमंत्री । हमारी देश कि कुल आबादी 125 करोड़ है लगभग और सभी किसी ना किसी धर्म से तालुक रखते है । भारत मे दो तरह कि ताकत है एक तो अच्छे लोग और एक तरफ यह भ्रष्ट लोग जो देश का खुन चूस रहे है । देश के आधे से ज्यादा जज भी अब भ्रष्टता पर आ चुके है । मोदी जी से गुज़ारिष है जो हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री हैं । मोदी साहब आप कि सोच ने मुझे बहुत प्रभावित किया था । मै भी आपका फेन हुँ लेकिन एक दुख है मन का कि बरवाला की घटना के बाद लाखों विज्ञापन आपको सौंपे गए पर आप तक एक भी पहुंची । हम जन्तर मतंर पर 240 दिनों से बेठे हैं क्या आपको दिखाई नही देता ।। हमें c.b.i जांच कि मांग करते 16 साल हो चुके है अभी भी आॅख खोल लो जी । हमारे आपने 6 भाई बहनो को मरवा दिया आपको रहम नही आया । लगातार 16 सालो से हमारे साथ अन्याय हो रहा है 2 बार हमारे गुरूजी संत रामपाल जी जेल जा चुके हैं । 900 भक्तो को भी जेल मे डाल दिया क्या भक्त व संत कभी देशद्रोही होते है । क्या हम भारतवासी नही है । हम जहाँ भी गए हमे अन्याय ही मिला अदलातो से लेकर थानो तक सिर्फ नाकामी हाथ आई । अगर जल्द ही हमे न्याय नही मिला व केसों कि सी बी आई c.b.i जांच नही करवाई गईं तो हम सब 80 लाख संत रामपाल जी के अनुयायी जन्तर मन्तर पर अात्मदाह (suicide) कर लेंगे । इतना अन्याय अब हमें सहन नही होगा । न्याय दो या मौत हमे न्याय नही दिला सकते तो हमे मौत दे दो हम अपने गुरूजी के बिना नही जी सकते । अब जिन्दगी मे न्याय कि हमे कोई आशा नही है । आज हमारे साथ ये हो रहा है कल आपके साथ भी हो सकता है । भाई बहनो कृपया हमारी मदद करे ।। आप इस पोस्ट को share करे जी ताकि यह बात मोदी जी तक पहुंच जाए । Share it once आपके हाथों में अब 80 लाख लोगों की जान है ।

शनिवार, 14 मई 2016

नाचना गाना भक्ति के विरुद्ध


लोगों ने भक्ति को धन कमाने का धन्धा बना लिया है।किसी ने सोचा कर्म ही भक्ति है,किसी ने जटा बढ़ाना ही भक्ति समझ लिया,किसी के लिए नाचना-गाना ही भक्ति हो गयी है।वास्तव में यह भक्ति नहीं है बल्कि भक्ति का कुंठित रुप है।कबीर साहेब जी वाणी में साफ कह रहे हैं:- भक्ति न होय नाचे गाए,भक्ति न होय घंट बजाए। भक्ति न होय जटा बढ़ाए,भक्ति न होय भभूत रमाए। भक्ति होय नहिं मूरत पूजा,पाहन सेवे क्या तोहे सूझा। भक्ति न होय ताना तूरा,इन से मिले न साहेब पूरा। ऐसे साहिब मानत नाहीं,ये सब काल रुप के छांही। नाचना कूदना ताल को पीटना,ये सब रांडिया खेल है भक्ति नाहिं ।। नाच-गाने(मनोरंजन)के द्वारा काल भगवान इस जीव को खुश रखता है ताकि कोई भी जीव भक्ति करके उसकी सीमा से बाहर न निकल जाए इसलिए वह (ब्रह्म)जीव को उलझा कर रखता है। "सत् साहेब" "साहिब ही सत्य है"

मथुरा वाले बाबा जयगुरुदेव की भविष्यवाणी


खुशखबरी वह संत आ चुका है जिसकी भविष्यवाणी मथुरा वाले बाबा जयगुरूदेव (तुलसीदास) द्वारा कि गई है सन् 7 सितम्बर 1971 आखिर कौन है वह संत जिसके लिए जयगुरूदेव के हजारो समर्थको ने खाना पीना त्याग दिया और खोज मे लगे हुए है रिपोर्टर सन् 1971 मथुरा के संत जयगुरूदेव जी ने सन् 1971 मे एक भविष्यवाणी की थी और वह शाकाहारी पत्रिका मे छपा था की "वह अवतार जिसकी लोग प्रतिक्षा कर रहै है वह 20 वर्ष का हो चुका है यदि उसका पता बता दू तो लोग उसके पीछे पड जाएंगे अभी ऊपर से आदेश बताने को नही हो रहा मै समय का इंतजार कर रहा हू समय आते सबको सब कुछ मालूम हो जाएगा " इस बात को सुनकर उनके अनुयायियो ने पूछा कि वह अभी कहा है व बार बार आग्रह करने पर बताया की "महापुरूष का जन्म भारतवर्ष के छोटे से गाव मे हो चुका है और वह व्यक्ति मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बनेगा उसे जनता का इतना बडा समर्थन प्राप्त होगा आज तक किसी को नही मिला वह महापुरूष नए सिरे से विधान को बनाएगा और विशव के सभी देशो को लागू होगा उसकी एक भाषा होगी उसका एक झंडा होगा " लेकिन जय गुरुदेव पन्थ के हजारो भगत ले चुके हैं अन्न त्याग का दृढ़ संकल्प जय गुरु देव पंथ के मुखी बाबा तुलसी दास साहेब ने जब से इस बात की भविष्यवाणी की कि वह सन्त जिसकी अध्यक्षता मे सतयुग जैसा माहौल कलयुग मे आयेगा उसका जन्म हो चुका है। तब से जयगुरुदेव पंथ के अधिकांश अनुयायी उस सन्त की खोज मे रात दिन लगे रहते है। आपको यह जानकर आश्चर्य भले ही हो पर यह सत्य है। जय गुरुदेव पंथ के हजारों भगतो ने उस सन्त की खोज के पूरे होने तक अन्न का त्याग कर रखा है। बाबा जय गुरु देव के समर्थको द्वारा बार बार यह प्रश्न किये जाने पर कि बाबा आप कहते रहते है सतयुग आयेगा कलयुग जायेगा पर अभी तक सतयुग जैसा माहौल उत्पन्न नही हुआ है अपितु घोर कलयुग आता जा रहा है तब स॔गत के बार बार आग्रह करने पर बाबा जय गुरुदेव ने 7 सितम्बर 1971 को इस बहुचर्चित प्रश्न पर पटाक्षेप करते हुये उदघोषित किया कि उनकी अगुवाई मे सतयुग जैसा माहौल नही आयेगा अपितु वह सन्त कोई और है बाबा जयगुरुदेव के मुख से ऐसा वक्तव्य सुनकर बाबा जयगुरुदेव के सभी अनुयायियों को विस्मय भरा घोर आश्चर्य हुआ ।तब उन सभी अनुयायियों ने उन सन्त के बारे मे और ज्यादा जानकारी जाननी चाही तब जयगुरुदेव ने 7 सितम्बर 1971 को बताया कि आज वह सन्त पूरे वीस वर्ष का हो चुका है। जय गुरुदेव के उक्त वचन के अनुसार उस सन्त की जन्म तिथि 8 सितम्बर 1951 बनती है।क्योंकि 7 सितम्बर 1971 को उन सन्त जी ने पूरे 20 वर्ष पूर्ण किये थे। जयगुरुदेव के जीवित रहते ही इस बिषय पर मन्थन शुरु हो गया था कि वह सन्त कौन है जिनकी जन्मतिथि 8 सितम्बर 1951 है।इसी क्रम मे बाबा जयगुरुदेव के कुछ 8 सितम्बर 1951 को जन्मे व कुछ 7 सितम्बर 1951 को जन्मे 11 अनुयायियों ने वह सन्त होने का दावा ठोंका जिसे बाबा जयगुरुदेव ने रिजेक्ट कर दिया था उसके बाद अनेको भगत यह दावा ठोंकते रहे पर बाबा जयगुरुदेव ने सभी दावे निरस्त करते हुये यहाँ तक कह दिया था कि उनके शिष्यों मे कोई भी वह सन्त नही है।इसके बाद सन 1981 की गुरुपूर्णिमा पर भी बाबा जयगुरुदेव ने उन सन्त का पुनः जिक्र किया।और ठोंककर कर कहा कि वह सन्त 30 वर्ष का होने जा रहा है इसके वाबजूद भी जयगुरुदेव पंथ के कई अनुयायियों ने अपने मत से अनेक सन्त मत चला रखे है ज्ञात हो कि बाबा जयगुरुदेव ने मृत्यु पर्यन्त किसी को भी अपना उत्तराधिकारी नही बनाया था।फिर भी बाबा जयगुरुदेव के अनेकानेक अनुयायी साम दाम दन्ड भेद के सिद्धान्त की आड़ लेकर गुरुपद पर विराज मान हो गये है। पर इसके ठीक विपरीत जयगुरुदेव पंथ के हजारों की संख्या मे अनुयायियों ने खुद को गुरुपद पर विराजित करने के स्थान पर उन परम सन्त की खोज मे अन्न का त्याग कर रखा है जिन सन्त की जन्म तिथि 8 सितम्बर 1951 है। अब इनको कौन समझाये कि वह सन्त और कोई नही बल्कि सन्त रामपाल जी महाराज ही है। जानिए वह संत कौन है 7:40 से 8:40 रात रोजाना साधना चैनल पर और हरियाणा न्यूज चैनल पर 6:00 से 7:00 तक

God is not formless.


निरंकारी मिशन वाले परमात्मा को निराकार मानते है जब की वेदों मे प्रमाण है परमात्मा साकार है और राजा के समान दर्शनीय है ! प्रमाण के लिये देखे ऋंगवेद मंडल न. 9 सुक्त 82 मंत्र 1,2 और खुद निर्णय करे ! परमात्मा साकार है व सहशरीर है यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3 (प्रभु रजा के समान दर्शनिये है)

शुक्रवार, 13 मई 2016

निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी का निधन

मॉन्ट्रियल (कनाडा). निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह का कार एक्सीडेंट में निधन हो गया। कैनेडा में बाबा हरदेव सिंह निरंकारी का निधन, गाड़ी का टायर फटने से हुअा हादसा बाबा हरदेव सिंह निरंकारी जी का कैनेडा में निधन हो गया है। सड़क हादसे में उनका निधन हुअा है। कैनेडा के मोंट्रियल शहर में गाड़ी का टायर फटने से यह घटना हुई। दुनिया के सताइस देशों में निरंकारी समाज के लोग है। घटना के बाद निरंकारी समाज में शोक की लहर फैल गई है। हाल ही में बाबा हरदेव सिंह ही कैनेडा गए थे। हादसे के वक्त उनके दो दामाद उनके साथ थे जिनमें एक की हालत गंभीर बनी हुई है। निरंकारी समाज की स्थान १९२९ में हुई थी दुनिया भर में उनकी सौ शाखाएं है। बाबा हरदेव सिंह जी १९८० में निरंकारी समाज के प्रमुख बने थे। दामाद संदीप खिंदा अौप अवनीत उनके साथ थी जिनमें अवनीत की हालत गंभीर बनी हुई है वे निरंकारी संप्रदाय के चीफ थे। Photo by : punjab keshri

गुरुवार, 12 मई 2016

नव नाथ चौरासी सिद्ध कैसे पैदा हुए


नौ नाथ व चौरासी सिद्ध कैसे उत्पन्न हुए। . आपने अमरनाथ की कथा तो सुनी ही होगी जहां शिव शंकर ने पार्वती जी को मंत्र दिया था। उस समय शिवजी द्वारा बताया वह मंत्र एक तोते ने भी सुन लिया था। जब शिवजी को पता लगा तो उस तोते को मारने के लिए उसके पीछे दौडे। तब वह तोते वाली आत्मा अपना तोते वाला शरीर छोडकर व्यास जी की पत्नी के पेट में चला गया। समय आने पर शरीर धारण किया। जब वह 12 वर्ष तक भी गर्भ से बाहर नहीं आया तब ब्रह्मा, विष्णु महेश ने उससे कहा कि अगर ये ही रीत चली पडी तो माताए बहुत दुखी हो जाएगी, सुखदेव जी बाहर आ जाइए। तब सुखदेव जी ने कहा कि आपने अपनी त्रिगुणमयी माया का जाल फैलाया हुआ है। अभी तो मुझे अपने सभी पुराने जन्म कर्म याद है, बाहर आते ही मैं सब भूल जाऊंगा। मैं एक शर्त पर बाहर आऊंगा, अगर आप कुछ समय के लिए त्रिगुण प्रभाव को रोक दें तो ही मैं आऊंगा। तब तीनो देवो ने कहा कि हम केवल इतनी देर ही इस प्रभाव को रोक सकते हैं जितनी देर तक राई(सरसों का बीज) भैंस के सींग पर ठहर सकता है अर्थात एक सेकेंड से भी बहुत कम समय तक। सुखदेव जी ने कहा आप इतने ही समय तक रोक दीजै। तीनों देवों ने जब माया का प्रभाव रोका उस समय 94 बच्चे पैदा हुए। उन सबको अपने पुराने जन्म याद थे और उन्हें ये बात याद रह गयी कि भक्ति करने के लिए ही मनुष्य जीवन मिलता है। उन 94 बच्चों में से 84 तो सिद्ध हो गए व 9 नाथ हुए, और एक सुखदेव ऋषि हुए। सत साहेब जी बन्दीछोड सतगुरू रामपाल जी महाराज जी की जय।

मंगलवार, 10 मई 2016

महान क्रांति का शंखनाद

सत साहेब ,,,, ये उत्पात नहीं महानक्रान्ति का शंखनाद हैं जिसमे एक सच्चे संत और उनके अनुयायियों ने ठान लिया है कि चाहे जो भी हो वो इन भ्रष्ट नेताओं , मीडिया और सरकार और पाखंड के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे ,,,,वेशक कुछ छोटी सोच रखने वाले , अपने आप तक मतलब रखने वाले और मुर्ख किस्म के पढ़े लिखे लोग जो अपने विवेक खो चुके हैं इसे उत्पात , दंगा या मारपीट का नाम दें पर कोई भी घटना क्यूँ होती है कैसी होती है उसका परिणाम भविष्य में तय होता है ना कि लोगों की अटकलों से ,,,, वैसे भी समाज के लोगों को एक बात सोचनी चाहिए कि आखिर क्यूँ एक संत और उसके शिष्य बार बार एक ही मांग कर रहे हैं कि हमारे केस की सीबीआई से जांच हो और हमें न्याय मिलें , पर जहां एक तरफ राक्षस किस्म के लोग हैं वोही पर भगत भी हैं और विवेक शील जनता को यह देखना चाहिए कि जहां आजकल के संत राजनीति को अपना मोहरा बनाकर चलते हैं और कहीं न कहीं राजनेताओं से अपना तालुक रखते हैं क्या वो एक संत विचार धरा के हैं , जब उनसे पूछा जाता हैं कि संतो का राजनीति से क्या तालुक तो कहते हैं कि संतो के दरवाजे सबके लिए खुले होते हैं , संतो के दरवाजे सिर्फ भगत समाज के लिए खुलते हैं ना कि चोर लुटेरो के लिए और एक संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी और खुद संत रामपाल जी महाराज ही हैं जिन्होंने पाखंड और बढ़ते अत्याचार के खिलाफ आवाज उठायी हैं और ये आवाज कहां तक बुलंद होगी आने वाले समय में पता चल जाएगा और समाज एक दिन उनका लोहा मानेगा ..... आजकल कोई अपने रोजगार के लिए लड़ रहा हैं , कोई जमीन के लिए और संत रामपाल जी महाराज और उनके चेले ही हैं जो धर्म कि स्थापना और सत मार्ग के लिए संघर्ष शील हैं और अपने आखिरी दम तक रहेगा वैसे भी परमात्मा कबीर कि वाणी हैं : धर्म तो धसके नहीं धसके तीनो लोक सत साहेब अवश्य देखे साधना चैनल रात 7.45 से 8.45 तक और हरियाणा न्यूज़ सुबह 6 बजे से 7 बजे तक

शुक्रवार, 6 मई 2016

आरोपी कभी सीबीआई जांच कराने की मांग नहीं करता


हिम्मत है तो मेरे गुरु पर लगे आरोप सिद्ध करके दिखाओ हिम्मत है तो मेरे परमेश्वर द्वारा दिए ज्ञान को गलत साबित करके दिखाओ अरे मूर्खों :- समझो दिमाग का प्रयोग करो पूरे ब्रह्माण्ड के धर्म गुरुओं को ललकारने वाला सभी धर्मों के गर्न्थो को खोलकर संगत को शिक्षित करने वाला प्रमाण सहित धर्मगुरुओं को गलत साबित करने वाला छाती ठोक कर अपने आप को परमेश्वर का दूत्त कहने वाले को कोई जेल में कैसे बन्द कर सकता है ? या तो कोई कारण है जिसे ना तुम समझ पाये और ना ज्योति निरंजन जब जगत गुरु जेल से बाहर आएंगे तुम भी पछताओगे और तुम्हारा आका भी रोहतक वाली जिस जेल में सन्त रहा वहां से जेल को ही ट्रांसफर करना पड़ा आज वहां पार्क है । फिर हिसार वाली जेल भी कहाँ रह पावेगी ? खट्टर फटर की तो विसात ही क्या ? हमारी लड़ाई ज्योति निरंजन भगवान से हैं मेरी लड़ाई अज्ञान से है और आखिर जीत मेरी है