🏻 जब कबीर साहिब की उम्र पांच वर्ष की थी तब गुरु गोरखनाथ ने उनसे ज्ञान चर्चा करते हुए उनकी आयु के बारे में सवाल किया था तब कबीर साहिब ने यह जवाब दिया था ।
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जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी।
असंख युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी।।टेक।।
कोटि निरंजन हो गए, परलोक सिधारी। हम तो सदा महबूब हैं, स्वयं ब्रह्मचारी।। (करोड़ों निरंजन मर चुके हैं)
अरबों तो ब्रह्मा गए, उनन्चास कोटि कन्हैया सात कोटि शम्भू गए, मोर एक नहीं पलैया।। (49करोड़ श्रीकृष्ण,7करोड़ शिवजी मर चुके हैं)
कोटिन नारद हो गए, मुहम्मद से चारी। देवतन की गिनती नहीं है, क्या सृष्टि विचारी।।
नहीं बुढ़ा नहीं बालक, नाहीं कोई भाट भिखारी।
कहैं कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी।।
(मेरी कोई उम्र नहीं है)
ज्ञात रहे :-कबीर साहेब ने किसी माँ की पेट से जन्म नहीं लिया था प्रकाश का गोला आसमान से आया और कमल के फूल पर बच्चे के रुप में परवर्तित हो गया था। मृत्यु के वक्त भी उनका शरीर नहीं मिला शरीर के स्थान पर केवल सुगंधित फूल मिले थे॥
हम ही अलख अल्लाह है,कुतूब गौस और पीर।
गरीबदास खालिक धनी हमरा नाम कबीर॥
सतगुरु पुरुष कबीर है,चारों युग प्रवान।
झूठे गुरु मर गए,हो गए भूत मसान॥
:- आजकल के नकली गुरु भोली भाली आत्मांओ को नरकों की ओर धकेल रहे है।संसार में बहुत सारे गुरु पैदा हो गए थे इसलिए परमात्मा को स्वयं कबीर साहेब के रुप में सतगुरु की भूमिका निभाने के लिए पृथ्वीलोक में आना पड़ा ।
अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा,तहाँ जुलाहे ने पाया।।
माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।।
हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।
उसके बाद जिन संतों को कबीर साहेब ने जिन्दा रुप में दर्शन दिए! वह भी सतगुरु कहलाए।
लेकिन आजकल तो एक कथा वाचक भी अपने आप को सतगुरु कहता है।
"सद्गुरु के लक्षण कहुं,मधुरे बैन विनोद।चार वेद षट् शास्त्र,कह अठारह बोध।।"
सतगुरु की एक पहचान होती है जोकि कबीर साहेब ने सूक्ष्मवेद में वर्णित कर रखी है।
सत् साहेब जी जय हो बंदछोड़ की
Sahib Bandagi
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