गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

भक्ति करना कोई बालकों का खेल नही

भगती करना इन नकलियों ने बालको का खेल बना दिया ! बस सुबह शाम दो मिन्ट मदिंर मस्जिद में गऐ हो गया बेड़ा पार या किसी को दो चार रूपये दान दे दिया ! बाद में सारा दिन लूट खसोट चोरी डाके रिश्वतखोरी में लगे रहते है ! मदिंर में होते है उस टाईम इन से शरीफ धरती पर कोई नही होता ! अरेे भाई ये कोई भगती नही है भगती कैसी होती है ये संत रामपाल जी महाराज के वचन सुने फिर पता चलेगा भगती किसको कहते है ! ड्रामे बाजी और शास्त्रविरूद्ध साधना में कुछ नही रखा !! यदि आप शास्त्रों के अनुसार भक्ति नहीं कर रहे तो उस भक्ति का कोई लाभ नहीं, चाहे करो या ना करो। ये बात हम नहीं हमारी पवित्र गीताजी कह रही हैं। गीता अध्याय नं. 16 का श्लोक नं. 23 यः, शास्त्रविधिम्, उत्सज्य, वर्तते, कामकारतः, न, सः, सिद्धिम्, अवाप्नोति, न, सुखम्, न, पराम्, गतिम्।। अनुवाद: जो पुरुष शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न परम गति को और न सुख को ही। शास्त्रानुकुल साधना पाने के लिए सुनिए संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन साधना चैनल पर प्रतिदिन 07ः40-08ः40 तक।

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