दोस्तों आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं आज आप शिक्षित हैं और आज आपको कोई मूर्ख नहीं बना सकता इसलिए दोस्तों स्वयं परखने की ज़रूरत है क्या सही है और क्या गलत बेहतर यही होगा और हमारा निष्पक्ष भाव होना चाहिए दोस्तों पहली बात तो बिना गुरु के भक्ति हो ही नहीं सकती और दूसरी बात इस धरती पर 100 गुरु में से 99 तो नकली, झूठे, और पाखंडी है क्योंकि इन सब का ज्ञान हमने शास्त्रों के मापदंड से मापकर देखा है और आप भी देखना चाहे देख सकते हैं निष्पक्ष भाव से, दोस्तों इस धरती पर कोई पूर्ण संत है तो वह संत रामपाल जी महाराज हैं क्योंकि उनकी बताई गई साधना शास्त्रविधि अनुसार है और 100% authentic और लाभकारी भी, बाकी सारे धर्म गुरुओं की साधना शास्त्रविरुद्ध है मित्रों यहां आपको स्वयं परखने की जरूरत है क्योंकि आज तक हम दूसरे के बहकावे में आकर मूर्ख बनते रहे। श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है, हे अर्जुन जो पुरुष शास्त्रविधि को त्याग कर मनमाना आचरण करता है मनमानी पूजाऐं करता है उसको ना सुख न तो सिद्धि और ना ही परम गति ही प्राप्त होती है इसलिए हे अर्जुन कर्तव्य और आकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है इसलिए शास्त्र विधि अनुसार साधना करनी चाहिए
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