गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

यह मानव जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए मिला है


यह मानव जीवन अपनें परम पिता परमेश्वर की प्राप्ति के लिए मिला है! क्योंकि यह दुनिया हमारी नहीं है इए तो काल भगवान ज्योतिनिरन्जन की है! जो कि रोज एक लाख शरीर धारी आत्माँओं को तप्तशिला पर भुन कर खाता है व रोज सवा लाख पैदा करता है! यह ब्रह्मा विष्णु शिव इन तीनों का बाप और दुर्गा का पती है! इसनें शपथ ली थी कि अपनें वास्तविक रूप किसीके सामनें नहीं आऊँगा, इसके लिए कोई कितना भी जप तप करे! आश्चर्य करनें वाली बात यह है कि इसका जाप करनें वाला मन्त्र ओम् है! यही कारण था कि ओम् जाप करते करते श्रिषियों नें अपनें शरीर तक गला दिये लेकिन भगवान नहीं मिला, और वो विचारे श्रिषि अपना अनुभव पुराणों में लिखकर चले गये, कि भगवान निराकार है, इसी को पढकर इए दुनिया आज तक बेबकूफ बनी रही और हम अपनें परम पिता परमेश्वर से कोशों दूर हो गये, और यह बात विद् पिरमांणों सहीत मुझे सत् गुरू रामपाल जी महाराज के शरण में जानें के बाद पता चली, और वो पिरमाण गुरू जी नें कुरान शरीफ, बाईबल, अथर्वेद, सामवेद, रिग्वेद, यजुर्वेद, श्रीमद् भगवद् गीता से खोलकर दिखाए, और उन्होंनेें यह सिध्द कर दिया कि सबका मालिक एक है वो कहाँ रहता है कैसे मिलेगा वो भक्तिविधी इस काल की दुनिया से छुटकारा पानें के लिए मानव को दी है, जिससे हम अपनें निज घर सतलोक पहुच सकेगें, जहाँ हमारे तेजपुन्ज के शरीर हैं, जन्म का कष्ट बुढापे का कष्ट बीमारी, लडाई झगड़ा यह सब नहीं है वहाँ पर हम सदा सुखी रहते हैं! यह सब मैनै जो लिखा है इसे पढ़कर आप जी के मन में शंकाएं भी पैदा हुई होगीं, लेकिन इसके लिए आप जी से हाथ जोड़कर विनती है एक बार सत् गुरू रामपाल जी महाराज द्वारा लिखी हुई ज्ञानगंगा पुस्तक पढ़कर अनुसरण जरूर करें, आपकी शंकाओं का समाधान पिरमाणों सहित उसी पस्तक से हो जायेगा! प्लीज आप इए ना देखना कि हमारे गुरूजी जेल में है तो वो गलत है, क्योंकि जो सत्य का मार्ग दिखाता है दुनिया उसके खिलाफ होती है लेकिन जीत हमेसा सत्य की ही होती है, इस बात की गबाही हमारे ही पुरानें इतहासों में मिलती है, हमारी पूरे सन्सार से विनती है कि इस थोड़ी सी बात के पीछे परमात्मां से मूँह न मोड़ो, अगर आपका इए अनमोल मानव जीवन इस काल छीन लिया तो सिवाय पछतानें के अलावा आपके पास कुछ भी नहीं बचेगा! मानुष जन्म दुर्लभ है इए मिले न बारम्बार, जैसे पेड़ से पत्ता टूट गिरै बहूर न लगता डारि! समझदार के लिए संकेत ही काफी है! सत् साहेब

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