कागभुसंड जी अपने पूर्व जन्म की कथा गरूड़ देव को सुनाते हुए बताते हैं-
एक बार जब वे कथा कर रहे थे तब उनके गुरूजी उनके सामने से चले गए पर कागभुसंड जी ने अभिमानवश खडे होकर गुरूदेव का अभिनंदन नहीं किया। इस पर उनके इष्ट देव शिव जी को इतना क्रोध आया कि उन्होने आकाशवाणी कर कागभुसंड जी को एक साल तक नरक भोगने का श्राप दे दिया।
ये भविष्यवाणी गुरूदेव ने भी सुनी। फिर उन्होने शिव जी से श्राप वापिस लेने के लिए मिन्नतें की। गुरूजी की प्रार्थनाओं से प्रसन्न होकर शिवजी ने कहा कि कागभुसंड जी को एक साल तक नरक में रहने का श्राप तो भोगना ही पडेगा परन्तु मेरी कृपा से वहां यमदूत उन्हें तंग नहीं करेंगे। ऐसा ही हुआ।
इष्टदेव यह देखते हैं कि मेरे प्रतिनिधि संत के साथ मेरा भक्त कैसा व्यवहार करेगा। अगर इस संत की जगह मैं होता तो मेरे साथ भी इसका व्यवहार ऐसा ही रहता। इस तरह वह व्यक्ति जो गुरू का आदर नही करता, भगवान के दरबार से रीजेक्ट कर दिया जाता है।
#कबीर_परमात्मा_कहते_हैं-
गुरू गोविन्द कर जानिए, रहिए शब्द समाए।
मिले तो दण्डवत बंदगी, नहीं तो पल पल ध्यान लगाए।
जय बन्दीछोड की।
सत साहेब जी।
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