गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

कबीर साहेब द्वारा मृत लड़के कमाल को जीवित करना


मृृत लड़के कमाल को जीवित करना ***** एक लड़के का शव (लगभग 12 वर्ष का) नदी में बहता हुआ आ रहा था। सिकंदर लोदी के धार्मिक गुरु (पीर) शेखतकी ने कहा कि मैं तो कबीर साहेब को तब खुदा मानूं जब मेरे सामने इस मुर्दे को जीवित कर दे। साहेब ने सोचा कि यदि यह शेखतकी मेरी बात को मान लेगा और पूर्ण परमात्मा को जान लेगा तो हो सकता है सर्व मुसलमानों को सतमार्ग पर लगा कर काल के जाल से मुक्त करवा दे। सिकंदर लोदी राजा तथा सैकड़ों सैनिक उस दरिया पर विद्यमान थे। तब पूर्ण ब्रह्म साहेब कबीर ने कहा कि शेख जी - पहले आप प्रयत्न करें, कहीं बाद में कहो कि यह तो मैं भी कर सकता था। इस पर शेखतकी ने कहा कि ये कबीर तो सोचता है कि कुछ समय पश्चात यह मुर्दा बह कर आगे निकल जाएगा और मुसीबत टल जाएगी। साहेब कबीर ने उसी समय कहा कि हे जीवात्मा! जहाँ भी है कबीर हुक्म से इस शव में प्रवेश कर और बाहर आजा। तुरंत ही वह बारह वर्षीय लड़का जीवितहो कर बाहर आया और साहेब के चरणों में दण्डवत् प्रणाम की। सब उपस्थित व्यक्तियों ने कहा कि साहेब ने कमाल कर दिया। उस लड़के का नाम ‘कमाल‘ रख दिया तथा साहेब ने उसे अपने बच्चे के रूप में अपने साथ रखा। इस घटना की चर्चा दूर-2 तक होने लगी। कबीर साहेब की महिमा बहुत हो गई। लाखों बुद्धिमान भक्त आत्मा एक परमात्मा (साहेब कबीर) की शरण में आ कर अपना आत्म कल्याण करवाने लगे। परंतु शेखतकी अपनी बेईज्जती मान कर साहेब कबीर से ईष्र्या रखने लगा। — Sat Sahib ji

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