गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

वास्तविक धन क्या है


वास्तविक धन आज मनुष्य सब सुख सुविधाओं की कामना करता है और उनकी प्राप्ति के लिए दो नम्बर का काम, लूट खसोट, मिलावट, चोरी डकैती, धोखाधडी सब कुछ करता है..................... पर मनुष्य ये भूल गया है कि जो विधाता ने हमारे भाग्य में लिख दिया केवल वही मिलेगा,,,मनुष्य भाग्य में लिखे को नहीं बदल सकता। उसकी दो नम्बर की कमाई किसी भी तरह उसके पास नहीं टिक सकती........ या तो उसके परिवार के किसी सदस्य के कोई बिमारी होगी, या कोई दुर्घटना घट जाएगी या व्यापार में कोई नुकसान लग जाएगा........इस तरह वह अतिरिक्त कमाई खत्म हो जाएगी। वह कमाई तो जानी ही होती है शेष रह जाते है उसको कमाने में होने वाले पाप। दो नम्बर की कमाई तो हमारा साथ केवल कुछ समय तक देती है............सतगुरू बताते हैं कि असली कमाई तो परमात्मा का नाम जाप, दान करना व भूखे को भोजन खिलाना है जिसकी कमाई हमारे मरने के बाद भी हमारे साथ जाती है। कबीर सब जग निर्धना, धनवंता ना कोए। धनवंता सोए जानिये, जापे राम नाम धन होए।। कहें कबीर समुझाय के, दोई बात लखि लेह। एक साहिब की बंदगी व भूखों को कुछ देय।। सतगुरूदेव जी की जय। सत साहेब जी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें