गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

जीव हिंसा महापाप है


कबीर परमात्मा कहते हैं जो व्यक्ति जीव हिंसा करते हैं वे महापापी हैं, वे कभी मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकते। जरा सा(तिल के समान) भी मांस खाकर भक्ति करता है, चाहे करोड गाय दान भी करता है, उस साधक की साधना भी व्यर्थ है। मांसाहारी व्यक्ति चाहे परमात्मा प्राप्ति के लिए गर्दन भी कटवा ले, वह नरक में ही जाएगा। कबीर मांस मांस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आंखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाए।। कबीर तिलभर मच्छली खायके, कोटि गऊ दे दान। काशी करौंत ले मरे, तो भी नरक निदान।। कबीर कहता हूँ कहि जात हूँ, कहा जो मान हमार। जाका गला तुम काटि हो, सो फिर काटै तुम्हार।। कबीर परमात्मा कहते हैं कि इस दुनिया में हर चीज का बदला देना पडता है। इस जन्म में तुम किसी की हत्या करोगे तो अगले जन्म में वह तुम्हारी हत्या करेगा। यदि मारने का शौक है तो काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार को मारो। जीभ के स्वाद के लिए जीव हिंसा करना गलत है। कृपा शाकाहार अपनाए। जय बन्दीछोड की। सत साहिब जी।

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