परमपिता परमात्मा सतगुरु हमें बताते हैं कि:-
जब आज से ६०० वर्ष पहले इस कलयुग में स्वयं परमेश्वर कबीर साहेब आए थे तो उन्होने जो तत्व ग्यान हम तुच्छ जीवों को कहा/सुनाया था वह ज्यों की त्यों आज हमारे सभी सदग्रंथ समर्थन कर रहे हैं | परमेश्वर ने कहा था कि भक्ति अगर शास्त्रानुकूल न हो तो वह इस लोक व परलोक दोनो के लिए व्यर्थ है {गीता अ.१६श्लोक २३-२४} और कहा था कि
कबीर,
तीन देवों की जो करते भक्ति |
उनकी कभी न होवै मुक्ति ||
इस का प्रमाण (गीता अ.७ श्लोक१२-१५)
आगे परमेश्वर ने बताया कि:-
सब आए उस एक से, डार पात फल फूल |
कबीरा पीछे क्या रहा, गही पकड़ा जब मूल ||
एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाय |
माली सिंचै मूल को तो, फूलै फलै अघाय ||
अक्षर पुरुष एक पेंड़ है,क्षर पुरुष वाकी डार |
तीनों देवा शाखा हैं, पात रुप संसार ||
इन सभी पदों का उल्लेख पवित्र सदग्रंथ श्रीमदभगवत गीता अ.१५ श्लोक-१से४ व १६-१७ में ज्यों की त्यों मिलता है | जिससे प्रमाणित होता है कि उस समय जो यह तत्वग्यान परमेश्वर कबीर जी द्वारा बोला गया ऐसा ग्यान बताने वाला कोई संत इस धरा/२१ब्रंहांड में नहीं था क्यों कि इस संसार रुपी उल्टे लटके हूए वृक्ष को जड़ से पत्ते तक की व्याख्या कोई भी संत नही कर सका और गीता अ.१५ श्लोक-१ कहती है कि जो इस उल्टे लटके हूए संसाररुपी वृक्ष के सभी विभागों को तत्व से जानता है वह तत्वदर्शी संत है और गीता अ.४ श्लोक-३४ में गीता ग्यानदाता यह भी कहता है कि उस तत्वग्यान को तू तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर उसके बताए अनुसार भक्ति कर |
परमात्मा ने कहा है :-
कबीर,
बंधे को बंधा मिला, छूटे कौन उपाय |
कर सेवा निरबंध की, वो पल में लेय छुड़ाय ||
वो तो स्वयं परमात्मा थे, तत्वदर्शी संत थे, निरबंध थे जो हमें सतभक्ति, सतसाधना बताकर यह सिध्द करके दिखाए कि हमें सिर्फ जड़/मूल (पूर्ण परमात्मा) की ही भक्ति साधना करनी चाहिए |
वर्तमान में पूरण परमात्मा के उस सत भक्ति शास्त्रानुकूल साधना को बताने वाला इस धरा में केवल एक ही संत है-
"जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज"
आप वास्तव में परमात्मा / सतभक्ति / सतसाधना / मोक्ष पाना चाहते हैं तो सत्य को परखिए दुनिया की बातों में न आइये स्वयं जॉचिए अगर आप निष्पक्ष भाव व आत्म कल्याण को उद्देश्य रखकर सत्य को ढूँढेंगे तो परमात्मा आपको सत्य तक पहूँचने में मदद करेगा | बार बार ऐसा अवसर नही आता भक्तों पहचान लो इस संत स्वरुप परमात्मा को |
इनके तत्वग्यान का उत्तर आज भी इस धरा में किसी संतों के पास नहीं है | इस तत्वग्यान को धारण करो और अपना कल्याण करो, परमात्मा कहते हैं-
यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूँ |
गरीबदास ये वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ ||
समझा है तो सिर धर पॉव |
बहूर नहीं रे ऐसा दॉव ||
||∆ सत साहेब ∆||
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