एक प्रसिद्ध संत थे जिन की प्रसिद्धि का बोलबाला निरंतर बढ़ता जा रहा था। वे लोगों की बुराई और समाज की दशा को सुधारने का अनमोल कार्य कर रहे थे। उन्होंने सभी धर्म गुरुओं को सादर आमंत्रित किया अपने साथ ज्ञान चर्चा करने के लिए ताकि सभी मिलकर एक परमात्मा को पा सके और यथार्थ भक्ति विधि अपना सकेँ। परन्तु उन नकली धर्म गुरुओं को यह मंजूर नहीं था। उन्हें परमात्मा प्राप्ति की बजाए भक्तों की बढ़ती संख्या ज्यादा अच्छी लगती थी। इसलिए उन्होंने एक योजना बनाई। उस संत को बदनाम करने की योजना। योजना के तहत उस संत को बदनाम किया गया। उन पर मिथ्या आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया। दो साल जेल में रहने के बाद संत बेल पर रिहा हुए। इतने आरोपों के बावजूद उस संत के समर्थक लगातार बढ़ते ही जा रहे थे। उन पर उन झूठे आरोपों का कोई प्रभाव नहीँ पड़ रहा था क्योंकि वह संत व उनके ज्ञान को अच्छी तरह समझ चुके थे। कोर्ट की तारीखें अब भी पड़ती थी। उन संत के केस की सुनवाई करने वाला जज भ्रष्टाचारी निकला। उसने संत से कहा अगर केस फारीक करवाना हो तो 30 लाख रुपए दे दें। इस पर संत ने साफ इनकार कर दिया। संत ने कहा जब मैं अपने शिष्यों को रिश्वत लेने व देने से मना करता हूँ तो मैं स्वयं आप को रिश्वत कैसे दे सकता हूँ। इस पर जज ने कडा रुख करके कहा देख लीजिए आपका आश्रम उठ जाएगा, कलम मेरे हाथ में है। संत ने जवाब दिया कि हम भगवान पर विश्वास करने वाले हैं। हम रिश्वत नहीं देंगे। आपको जो करना हो आप करें। जो भगवान को मंजूर होगा वह हो जाएगा। इस पर बौखलाए जज ने संत की हाजिरी माफी रद्द कर दी। संत ने इस बात के पर्चे छपवा कर सब को बताने की कोशिश की। इस बारे में किताबें तक छपी। संत ने कहा कि इस लालची जज ने जो निर्णय लेना था, वह ये पहले ही ले चुका है अब तारीख पर जाने से कोई फायदा नहीँ। राजा हरिश्चन्द्र ने अपने सत्य की सुरक्षा के लिए अपने राज्य का बलिदान दे दिया......लेकिन अंत मेँ जीत उसी की हुई। हम भी सत मार्ग से पीछे नहीं हटेंगे चाहे अब कुछ भी हो। उस भ्रष्टाचारी जज ने पैसे के लोभ में अंधा होकर उस संत के नोनबेलेबल वारंट जारी कर दिए। संत के समर्थक इस अन्याय को देखकर इसके खिलाफ शांति के प्रदर्शन पर उतर आए। उन्होंने काले कपड़े पहन कर इस भ्रष्टाचारी जज के खिलाफ शान्तिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया तथा हाथ में सफेद झंडे जो शांति का प्रतीक थे लिए हुए थे। जैसा कि सभी जानते है कि मीडिया आग में घी झौंकने का काम करती है। जो मसला आसानी से सुलझाया जा सकता था उसे इन मीडिया कर्मियों ने इतने गलत तरीके से दिखाया कि उस संत को ही सब गलत नजरिए से देखने लगे। जिस भ्रष्ट जज को सजा मिलनी चाहिये थी उसे तो महिमा का पात्र बना दिया गया और जो सतमार्ग पर चला व दूसरों को भी सच्चे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया उन पर संगीन आरोप लगाकर जेल में डाल दिया। परन्तु उस महान संत के अनुयायी समाज को वास्तविकता से परिचित कराने के लिए बहुत प्रयत्न कर रहे हैं। और पूरे देश में शांतिप्रिय रैली धरना करके इस बरवाला केस की CBI जाँच की मांग कर रहे हैं। ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके। इस कार्य के लिए आपका भी सहयोग चाहते हैं.......... आपसे करबद्ध प्रार्थना हैं हमारे केस की CBI जाँच की मांग में हमारा सहयोग दें।
जो सरकार दहेज को नहीं रोक पाई, जो सरकार नशा नहीं रोक पाई उसको एक संत के महज विचारों ने रोक दिखाया लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों के कारण संत को परेशान किया गया है। संत बिल्कुल निर्दोष हैं। सरकारों व कुछ जजों द्वारा अलोकतान्त्रिक व असंवैधानिक कार्य किया जा रहा है। इस धटना की अधिक जानकारी के लिए विस्तार से पढ़े..."बरवाला की घटना की सच्चाई".....Pdf Download ...Link :-http://www.rsss.co.in/publications/
आप सभी से करबद्ध प्रार्थना है हमारे केस की CBI जाँच की मांग में हमारा सहयोग दें।
आप सभी को सत् साहिब!!!
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