नौ नाथ व चौरासी सिद्ध कैसे उत्पन्न
हुए।
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आपने अमरनाथ की कथा तो सुनी ही होगी जहां शिव शंकर ने पार्वती जी को मंत्र दिया था। उस समय शिवजी द्वारा बताया वह मंत्र एक तोते ने भी सुन लिया था। जब शिवजी को पता लगा तो उस तोते को मारने के लिए उसके पीछे दौडे। तब वह तोते वाली आत्मा अपना तोते वाला शरीर छोडकर व्यास जी की पत्नी के पेट में चला गया। समय आने पर शरीर धारण किया। जब वह 12 वर्ष तक भी गर्भ से बाहर नहीं आया तब ब्रह्मा, विष्णु महेश ने उससे कहा कि अगर ये ही रीत चली पडी तो माताए बहुत दुखी हो जाएगी, सुखदेव जी बाहर आ जाइए। तब सुखदेव जी ने कहा कि आपने अपनी त्रिगुणमयी माया का जाल फैलाया हुआ है। अभी तो मुझे अपने सभी पुराने जन्म कर्म याद है, बाहर आते ही मैं सब भूल जाऊंगा। मैं एक शर्त पर बाहर आऊंगा, अगर आप कुछ समय के लिए त्रिगुण प्रभाव को रोक दें तो ही मैं आऊंगा। तब तीनो देवो ने कहा कि हम केवल इतनी देर ही इस प्रभाव को रोक सकते हैं जितनी देर तक राई(सरसों का बीज) भैंस के सींग पर ठहर सकता है अर्थात एक सेकेंड से भी बहुत कम समय तक।
सुखदेव जी ने कहा आप इतने ही समय तक रोक दीजै। तीनों देवों ने जब माया का प्रभाव रोका उस समय 94 बच्चे पैदा हुए। उन सबको अपने पुराने जन्म याद थे और उन्हें ये बात याद रह गयी कि भक्ति करने के लिए ही मनुष्य जीवन मिलता है। उन 94 बच्चों में से 84 तो सिद्ध हो गए व 9 नाथ हुए, और एक सुखदेव ऋषि हुए।
सत साहेब जी
बन्दीछोड सतगुरू रामपाल जी महाराज जी की जय।
🙇♂️🙇♂️🙇♂️भक्तिदान गुरू दीजिओ देवन के देवा हो,🙇♂️🙇♂️🙇♂️ जनम पाया भुलू नहिं करहु पद सेवा हो।🙇♂️🙇♂️🙇♂️
जवाब देंहटाएं🙇♂️🙇♂️🙇♂️बन्दीछोड़ सत्तगुरु रामपाल जी महाराज की जय,🙇♂️🙇♂️🙇♂️ सत् साहेब,🙇♂️🙇♂️🙇♂️ साहेब बंदगी🙇♂️🙇♂️🙇♂️