गुरुवार, 26 मई 2016
पूजा भक्ति क्या और कैसे होती है
सोमवार, 23 मई 2016
सच्चे संत की अकाल मौत कभी नहीं होती
शनिवार, 21 मई 2016
आधे से ज्यादा जज आज भी भ्रष्ट हैं
क्या आप जानतें है कि हम एक secular देश मे रहते है । हर किसी को उसका जन्म और भारत का कानून यह हक देता है कि वो अपने धर्म व अपनी जाति को जब चाहे तब बदल सकता है । यहाँ तक कि प्रधानमत्रीं भी उसे मना नही कर सकता । हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का ना राष्ट्रपति हक रखते है और ना ही यह छोटे मोटे मुख्यमंत्री । हमारी देश कि कुल आबादी 125 करोड़ है लगभग और सभी किसी ना किसी धर्म से तालुक रखते है । भारत मे दो तरह कि ताकत है एक तो अच्छे लोग और एक तरफ यह भ्रष्ट लोग जो देश का खुन चूस रहे है । देश के आधे से ज्यादा जज भी अब भ्रष्टता पर आ चुके है । मोदी जी से गुज़ारिष है जो हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री हैं । मोदी साहब आप कि सोच ने मुझे बहुत प्रभावित किया था । मै भी आपका फेन हुँ लेकिन एक दुख है मन का कि बरवाला की घटना के बाद लाखों विज्ञापन आपको सौंपे गए पर आप तक एक भी पहुंची । हम जन्तर मतंर पर 240 दिनों से बेठे हैं क्या आपको दिखाई नही देता ।। हमें c.b.i जांच कि मांग करते 16 साल हो चुके है अभी भी आॅख खोल लो जी । हमारे आपने 6 भाई बहनो को मरवा दिया आपको रहम नही आया । लगातार 16 सालो से हमारे साथ अन्याय हो रहा है 2 बार हमारे गुरूजी संत रामपाल जी जेल जा चुके हैं । 900 भक्तो को भी जेल मे डाल दिया क्या भक्त व संत कभी देशद्रोही होते है । क्या हम भारतवासी नही है । हम जहाँ भी गए हमे अन्याय ही मिला अदलातो से लेकर थानो तक सिर्फ नाकामी हाथ आई । अगर जल्द ही हमे न्याय नही मिला व केसों कि सी बी आई c.b.i जांच नही करवाई गईं तो हम सब 80 लाख संत रामपाल जी के अनुयायी जन्तर मन्तर पर अात्मदाह (suicide) कर लेंगे । इतना अन्याय अब हमें सहन नही होगा । न्याय दो या मौत हमे न्याय नही दिला सकते तो हमे मौत दे दो हम अपने गुरूजी के बिना नही जी सकते । अब जिन्दगी मे न्याय कि हमे कोई आशा नही है । आज हमारे साथ ये हो रहा है कल आपके साथ भी हो सकता है । भाई बहनो कृपया हमारी मदद करे ।। आप इस पोस्ट को share करे जी ताकि यह बात मोदी जी तक पहुंच जाए । Share it once आपके हाथों में अब 80 लाख लोगों की जान है ।
शनिवार, 14 मई 2016
नाचना गाना भक्ति के विरुद्ध
मथुरा वाले बाबा जयगुरुदेव की भविष्यवाणी
God is not formless.
निरंकारी मिशन वाले परमात्मा को निराकार मानते है जब की वेदों मे प्रमाण है परमात्मा साकार है और राजा के समान दर्शनीय है ! प्रमाण के लिये देखे ऋंगवेद मंडल न. 9 सुक्त 82 मंत्र 1,2 और खुद निर्णय करे ! परमात्मा साकार है व सहशरीर है यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3 (प्रभु रजा के समान दर्शनिये है)
शुक्रवार, 13 मई 2016
निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी का निधन
मॉन्ट्रियल (कनाडा).
निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह का कार एक्सीडेंट में निधन हो गया।
कैनेडा में बाबा हरदेव सिंह निरंकारी का निधन, गाड़ी का टायर फटने से हुअा हादसा
बाबा हरदेव सिंह निरंकारी जी का कैनेडा में निधन हो गया है। सड़क हादसे में उनका निधन हुअा है। कैनेडा के मोंट्रियल शहर में गाड़ी का टायर फटने से यह घटना हुई। दुनिया के सताइस देशों में निरंकारी समाज के लोग है। घटना के बाद निरंकारी समाज में शोक की लहर फैल गई है। हाल ही में बाबा हरदेव सिंह ही कैनेडा गए थे। हादसे के वक्त उनके
दो दामाद उनके साथ थे जिनमें एक की हालत गंभीर बनी हुई है। निरंकारी समाज की स्थान १९२९ में हुई थी दुनिया भर में उनकी सौ शाखाएं है। बाबा हरदेव सिंह जी १९८० में निरंकारी समाज के प्रमुख बने थे। दामाद संदीप खिंदा अौप अवनीत उनके साथ थी जिनमें अवनीत की हालत गंभीर बनी हुई है वे निरंकारी संप्रदाय के चीफ थे।
Photo by : punjab keshri
गुरुवार, 12 मई 2016
नव नाथ चौरासी सिद्ध कैसे पैदा हुए
मंगलवार, 10 मई 2016
महान क्रांति का शंखनाद
सत साहेब ,,,, ये उत्पात नहीं महानक्रान्ति का शंखनाद हैं जिसमे एक सच्चे संत और उनके अनुयायियों ने ठान लिया है कि चाहे जो भी हो वो इन भ्रष्ट नेताओं , मीडिया और सरकार और पाखंड के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे ,,,,वेशक कुछ छोटी सोच रखने वाले , अपने आप तक मतलब रखने वाले और मुर्ख किस्म के पढ़े लिखे लोग जो अपने विवेक खो चुके हैं इसे उत्पात , दंगा या मारपीट का नाम दें पर कोई भी घटना क्यूँ होती है कैसी होती है उसका परिणाम भविष्य में तय होता है ना कि लोगों की अटकलों से ,,,, वैसे भी समाज के लोगों को एक बात सोचनी चाहिए कि आखिर क्यूँ एक संत और उसके शिष्य बार बार एक ही मांग कर रहे हैं कि हमारे केस की सीबीआई से जांच हो और हमें न्याय मिलें , पर जहां एक तरफ राक्षस किस्म के लोग हैं वोही पर भगत भी हैं और विवेक शील जनता को यह देखना चाहिए कि जहां आजकल के संत राजनीति को अपना मोहरा बनाकर चलते हैं और कहीं न कहीं राजनेताओं से अपना तालुक रखते हैं क्या वो एक संत विचार धरा के हैं , जब उनसे पूछा जाता हैं कि संतो का राजनीति से क्या तालुक तो कहते हैं कि संतो के दरवाजे सबके लिए खुले होते हैं , संतो के दरवाजे सिर्फ भगत समाज के लिए खुलते हैं ना कि चोर लुटेरो के लिए और एक संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी और खुद संत रामपाल जी महाराज ही हैं जिन्होंने पाखंड और बढ़ते अत्याचार के खिलाफ आवाज उठायी हैं और ये आवाज कहां तक बुलंद होगी आने वाले समय में पता चल जाएगा और समाज एक दिन उनका लोहा मानेगा ..... आजकल कोई अपने रोजगार के लिए लड़ रहा हैं , कोई जमीन के लिए और संत रामपाल जी महाराज और उनके चेले ही हैं जो धर्म कि स्थापना और सत मार्ग के लिए संघर्ष शील हैं और अपने आखिरी दम तक रहेगा वैसे भी परमात्मा कबीर कि वाणी हैं : धर्म तो धसके नहीं धसके तीनो लोक सत साहेब अवश्य देखे साधना चैनल रात 7.45 से 8.45 तक और हरियाणा न्यूज़ सुबह 6 बजे से 7 बजे तक
शुक्रवार, 6 मई 2016
आरोपी कभी सीबीआई जांच कराने की मांग नहीं करता
गुरुवार, 5 मई 2016
इच्छा दासी काल की
🙏🏻🙏🏻कबीर बाणी🙏🏻🙏🏻 इच्छा दासी यम की खडी रहे दरबार.. पाप पूण्य दो बीर , ये खसमी नार... अर्थ- ये इच्छा काल की दासी हैा. इच्छा आत्मा को काल के दरबार मे खडा कर देती हैा पाप और पूण्य ये दो भाई है.. इच्छा इन दोनो की पत्नी है.. इच्छा ही पाप और पूण्य करवाती हैा... पाप - को कबीर परमात्मा का सतनाम मंत्र समाप्त करेगा.. इच्छा- को आप समाप्त करो मालिक के तत्वज्ञान रूपी शास्त्र से ... सतगुरू मिले तो इच्छा मिटे, पद मिले पद समाना.. चल हंसा उस लोक पठाऊ , जहा आदि अमर अस्थाना.. पूण्य- को काल के कर्ज के रूप मे दे देगे... तब सतलोक जा सकते हैा... कबीर - जिवित मुक्ता सो कहो आशा तृष्णा खंड.. मन के जीते जीत है क्यो भरमे ब्रह्मांड... अर्थ- जिसकी आशा तृष्णा समाप्त हो गई है मतलब इच्छा समाप्त हो गई है उसको जिवित मरना कहते है वह जिवित संसार मे रहकर भी संसार से मुक्त हो जाता हैा. उसको ही मन जीतना कहते हैा मन को जीतने के बाद ही आप सतलोक जा सकते हैा.. जो योगी तप करते दिखाई देते है लेकिन इनका मन ब्रहाांड मे घूम रहा होता हैा तप से राज मिलता है मुक्ती नही.. भवार्थ- जिन लोगो की इच्छा सतलोक मे जाने की हो गई है उसकी इस संसार से आशा तृष्णा समाप्त हो गई हैा वह लोग इस संसार को जरूरत के हिसाब से जी रहे हैा लेकिन जो लोगो संसार को ख्वाईस के हिसाब से जी रहे हैा वह भगत नही हैा जैसे एक बीवी अापकी जरूरत हैा अपनी बीवी को छोडकर गैर स्त्री पर बुरी नजर डालना वो आपकी ख्वाईस कहलाती हैा.. एक इंसान के रहने के लिए एक कमरा जरूरत हैा कोठी बंगले आपकी खवाईस हैा.. जिनको मालिक ने कोटि बंगले दिये है अच्छी बात है लेकिन जिनके पास नही है वह भक्ति करे रीस ना ना करे.. दो वक्त की रोटी जरूरत हैा 36 तरह के पकवान की इच्छा आपकी ख्वाईस हैा.... भगत दास हो तो जरूरत के हिसाब से जीना सीख लो.. ख्वाईस के हिसाब से जो जीता है वह भगत नही हैा.. गुरू जी कहते है मालिक ने जिसको जितना दिया हैा उस मे खुश रहो.. दूसरो की रीस मत करो.. गुरू जी जरूरत के लिए मना नही करते बल्कि ख्वाईसो के लिए मना करते हैैा.. जैसे टी वी पर सतसंग देखना आपकी जरूरत हैा टी वी पर फिल्मे नाटक गेम खेलना जरूरत नही है जो लोग फिल्मे नाटक देखते है वह भगत नही हैा
समाज का एक कड़वा सच
एक दिन पंडित को प्यास लगी, संयोगवश घर में पानी नहीं था। इसलिए उसकी पत्नी पड़ोस से पानी ले आई। पानी पीकर पंडित ने पूछा.... पंडित - कहाँ से लायी हो? बहुत ठंडा पानी है। पत्नी - पड़ोस के कुम्हार के घर से। (पंडित ने यह सुनकर लोटा फेंक दिया और उसके तेवर चढ़ गए। वह जोर-जोर से चीखने लगा ) पंडित - अरी तूने तो मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया। कुम्हार ( शूद्र ) के घर का पानी पिला दिया। (पत्नी भय से थर-थर कांपने लगी) उसने पण्डित से माफ़ी मांग ली। पत्नी - अब ऐसी भूल नहीं होगी। शाम को पण्डित जब खाना खाने बैठा तो घर में खाने के लिए कुछ नहीं था। पंडित - रोटी नहीं बनाई। भाजी नहीं बनाई। क्यों???? पत्नी - बनायी तो थी। लेकिन अनाज पैदा करने वाला कुणबी(शूद्र) था और जिस कड़ाई में बनाया था, वो कड़ाई लोहार (शूद्र) के घर से आई थी। सब फेंक दिया। पण्डित - तू पगली है क्या?? कहीं अनाज और कढ़ाई में भी छूत होती है? यह कह कर पण्डित बोला- कि पानी तो ले आओ। पत्नी - पानी तो नहीं है जी। पण्डित - घड़े कहाँ गए??? पत्नी - वो तो मैंने फेंक दिए। क्योंकि कुम्हार के हाथ से बने थे। पंडित बोला- दूध ही ले आओ। वही पीलूँगा। पत्नी - दूध भी फेंक दिया जी। क्योंकि गाय को जिस नौकर ने दुहा था, वो तो नीची (शूद्र) जाति से था। पंडित- हद कर दी तूने तो यह भी नहीं जानती की दूध में छूत नहीं लगती है। पत्नी-यह कैसी छूत है जी, जो पानी में तो लगती है, परन्तु दूध में नहीं लगती। (पंडित के मन में आया कि दीवार से सर फोड़ लूं) वह गुर्रा कर बोला - तूने मुझे चौपट कर दिया है जा अब आंगन में खाट डाल दे मुझे अब नींद आ रही है। पत्नी- खाट!!!! उसे तो मैनें तोड़ कर फेंक दिया है जी। क्योंकि उसे शूद्र (सुथार ) जात वाले ने बनाया था। पंडित चीखा - वो फ़ूलों का हार तो लाओ। भगवान को चढ़ाऊंगा, ताकि तेरी अक्ल ठिकाने आये। पत्नी - हार तो मैंने फेंक दिया। उसे माली (शूद्र) जाति के आदमी ने बनाया था। पंडित चीखा- सब में आग लगा दो, घर में कुछ बचा भी हैं या नहीं। पत्नी - हाँ यह घर बचा है, इसे अभी तोड़ना बाकी है। क्योंकि इसे भी तो पिछड़ी जाति के मजदूरों ने बनाया है। पंडित के पास कोई जबाब नहीं था। उसकी अक्ल तो ठिकाने आयी। बाकी लोगों कि भी आ जायेगी। सिर्फ इस कहानी को आगे फॉरवर्ड करो। हो सकता है देश से जातिय भेदभाव खत्म हो जाये। एक कदम बढ़ाकर तो देखो...!!
ओम तत् सत् का वर्णन
बड़े आश्चर्य की बात सच है इसलिए कड़वा है
कबीर साहेब और काल की वार्ता
बुधवार, 4 मई 2016
बॉलीवुड ने भारत की दशा और दिशा दोनों ही बदल दी
परिभाषा स्वर्ग की
स्वर्ग की परिभाषाःःःःःःःःः स्वर्ग को एक होटल जैसा जानों। जिस तरह कोई धनी व्यक्ति गर्मियों के मौसम में शिमला या कुल्लु मनाली जैसे शहरो में ठंडे स्थान पर चला जाता है। वहां किसी होटल में ठहरता है। जिसमें कमरे का किराया व खाने का खर्चा अदा करना होता है। महीने में 30-40 हजार रूपए खर्च करके वापिस अपने कर्म क्षेत्र में आना होता है। फिर 11 महीने मजदूरी करो। फिर एक महीना घूम आओ। यदि किसी वर्ष कमाई अच्छी नहीं हुई तो उस एक महीने के सुख को भी तरसो। ठीक इसी प्रकार स्वर्ग जाने-- मनुष्य इस पृथ्वी लोक पर साधना करके कुछ समय स्वर्ग रूपी होटल में चला जाता है। अपनी पुण्य कमाई खर्च करके कुछ समय वहां रहकर वापिस नरक तथा चौरासी लाख प्राणियों के शरीर में कष्ट; पाप कर्मों के आधार पर भोगना पडता है। जब तक तत्वदर्शी संत नहीं मिलेगा तब तक जन्म-मृत्यु, स्वर्ग-नरक व 84 लाख योनियों का कष्ट बना ही रहेगा।क्योंकि केवल पूर्ण परमात्मा का सतनाम व सारनाम ही पापों का नाश करता है। अन्य प्रभुओं की पूजा से पाप नष्ट नहीं होते। सर्व कर्मों का ज्यों का त्यों फल ही मिलता है। साधना चैनल पर प्रतिदिन शाम 07ः40-08ः40 तक सतगुरू रामपाल जी महाराज के अमृत वचनों का आनन्द लें।
कबीर साहेब द्वारा कलयुग में आने का निर्धारित समय
कबीर साहेब की वाणी में सृष्टि रचना
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