गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

जीव हिंसा महापाप है


कबीर परमात्मा कहते हैं जो व्यक्ति जीव हिंसा करते हैं वे महापापी हैं, वे कभी मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकते। जरा सा(तिल के समान) भी मांस खाकर भक्ति करता है, चाहे करोड गाय दान भी करता है, उस साधक की साधना भी व्यर्थ है। मांसाहारी व्यक्ति चाहे परमात्मा प्राप्ति के लिए गर्दन भी कटवा ले, वह नरक में ही जाएगा। कबीर मांस मांस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आंखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाए।। कबीर तिलभर मच्छली खायके, कोटि गऊ दे दान। काशी करौंत ले मरे, तो भी नरक निदान।। कबीर कहता हूँ कहि जात हूँ, कहा जो मान हमार। जाका गला तुम काटि हो, सो फिर काटै तुम्हार।। कबीर परमात्मा कहते हैं कि इस दुनिया में हर चीज का बदला देना पडता है। इस जन्म में तुम किसी की हत्या करोगे तो अगले जन्म में वह तुम्हारी हत्या करेगा। यदि मारने का शौक है तो काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार को मारो। जीभ के स्वाद के लिए जीव हिंसा करना गलत है। कृपा शाकाहार अपनाए। जय बन्दीछोड की। सत साहिब जी।

वास्तविक धन क्या है


वास्तविक धन आज मनुष्य सब सुख सुविधाओं की कामना करता है और उनकी प्राप्ति के लिए दो नम्बर का काम, लूट खसोट, मिलावट, चोरी डकैती, धोखाधडी सब कुछ करता है..................... पर मनुष्य ये भूल गया है कि जो विधाता ने हमारे भाग्य में लिख दिया केवल वही मिलेगा,,,मनुष्य भाग्य में लिखे को नहीं बदल सकता। उसकी दो नम्बर की कमाई किसी भी तरह उसके पास नहीं टिक सकती........ या तो उसके परिवार के किसी सदस्य के कोई बिमारी होगी, या कोई दुर्घटना घट जाएगी या व्यापार में कोई नुकसान लग जाएगा........इस तरह वह अतिरिक्त कमाई खत्म हो जाएगी। वह कमाई तो जानी ही होती है शेष रह जाते है उसको कमाने में होने वाले पाप। दो नम्बर की कमाई तो हमारा साथ केवल कुछ समय तक देती है............सतगुरू बताते हैं कि असली कमाई तो परमात्मा का नाम जाप, दान करना व भूखे को भोजन खिलाना है जिसकी कमाई हमारे मरने के बाद भी हमारे साथ जाती है। कबीर सब जग निर्धना, धनवंता ना कोए। धनवंता सोए जानिये, जापे राम नाम धन होए।। कहें कबीर समुझाय के, दोई बात लखि लेह। एक साहिब की बंदगी व भूखों को कुछ देय।। सतगुरूदेव जी की जय। सत साहेब जी।

कबीर साहेब का गोरख नाथ जी के साथ ज्ञान चर्चा


🏻 जब कबीर साहिब की उम्र पांच वर्ष की थी तब गुरु गोरखनाथ ने उनसे ज्ञान चर्चा करते हुए उनकी आयु के बारे में सवाल किया था तब कबीर साहिब ने यह जवाब दिया था । 🏻 जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी। असंख युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी।।टेक।। कोटि निरंजन हो गए, परलोक सिधारी। हम तो सदा महबूब हैं, स्वयं ब्रह्मचारी।। (करोड़ों निरंजन मर चुके हैं) अरबों तो ब्रह्मा गए, उनन्चास कोटि कन्हैया सात कोटि शम्भू गए, मोर एक नहीं पलैया।। (49करोड़ श्रीकृष्ण,7करोड़ शिवजी मर चुके हैं) कोटिन नारद हो गए, मुहम्मद से चारी। देवतन की गिनती नहीं है, क्या सृष्टि विचारी।। नहीं बुढ़ा नहीं बालक, नाहीं कोई भाट भिखारी। कहैं कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी।। (मेरी कोई उम्र नहीं है) ज्ञात रहे :-कबीर साहेब ने किसी माँ की पेट से जन्म नहीं लिया था प्रकाश का गोला आसमान से आया और कमल के फूल पर बच्चे के रुप में परवर्तित हो गया था। मृत्यु के वक्त भी उनका शरीर नहीं मिला शरीर के स्थान पर केवल सुगंधित फूल मिले थे॥ हम ही अलख अल्लाह है,कुतूब गौस और पीर। गरीबदास खालिक धनी हमरा नाम कबीर॥ सतगुरु पुरुष कबीर है,चारों युग प्रवान। झूठे गुरु मर गए,हो गए भूत मसान॥ :- आजकल के नकली गुरु भोली भाली आत्मांओ को नरकों की ओर धकेल रहे है।संसार में बहुत सारे गुरु पैदा हो गए थे इसलिए परमात्मा को स्वयं कबीर साहेब के रुप में सतगुरु की भूमिका निभाने के लिए पृथ्वीलोक में आना पड़ा । अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।। ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा,तहाँ जुलाहे ने पाया।। माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी। जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।। पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा। सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।। अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा। ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।। हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी। तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।। उसके बाद जिन संतों को कबीर साहेब ने जिन्दा रुप में दर्शन दिए! वह भी सतगुरु कहलाए। लेकिन आजकल तो एक कथा वाचक भी अपने आप को सतगुरु कहता है। "सद्गुरु के लक्षण कहुं,मधुरे बैन विनोद।चार वेद षट् शास्त्र,कह अठारह बोध।।" सतगुरु की एक पहचान होती है जोकि कबीर साहेब ने सूक्ष्मवेद में वर्णित कर रखी है। सत् साहेब जी जय हो बंदछोड़ की

संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान का पाकिस्तान में भी दिखा असर


सन्त रामपाल जी महाराज के ज्ञान का पाकिस्तान मे भी दिखा असर। जेल जाने से पूर्व नेपाल भूटान मे अपने तत्व ज्ञान का डंका पीट चुके एवं सभी तथाकथित सन्तो को अध्यात्मिक ज्ञान चर्चा मे परास्त करने वाले सन्त रामपाल जी महाराज से जुड़ने वालो की लहर सरकार के तमाम प्रयासो के बाद रोके नही रुक रही है। और तो और भारत के धुरविरोधी देश पाकिस्तान मे भी सन्त रामपाल जी महाराज से जुड़ने का सिलसिला प्रारम्भ हो गया है।विगत एक हफ्ते मे पाकिस्तान के 529 लोगो ने सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायियों के माध्यम से दीक्षा ली है। जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा। हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नही कोई न्यारा।। का नारा बुलन्द करने वाले सन्त रामपाल जी महाराज का ज्ञान विदेशो मे भी सिर चढ़ कर बोल रहा है।पाकिस्तान भूटान नेपाल समेत अन्य देशो मे भी सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायियों की तादाद निरन्तर बढ़ रही है। अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि सन्त रामपाल जी महाराज के विरुद्ध बनाये गये केस मनगढन्त व झूठे है।मीडिया को भी हरियाणा की सरकारी मशीनरी ने कूटनीतिक षडयन्त्र के तहत गुमराह किया।आखिरकार एक वर्ष बीत जाने के वाबजूद क्यो हरियाणा पुलिस अभी तक एक भी सबूत सन्त रामपाल जी महाराज के विरुद्ध पेश नही कर पायी है।

कबीर साहेब द्वारा मृत लड़के कमाल को जीवित करना


मृृत लड़के कमाल को जीवित करना ***** एक लड़के का शव (लगभग 12 वर्ष का) नदी में बहता हुआ आ रहा था। सिकंदर लोदी के धार्मिक गुरु (पीर) शेखतकी ने कहा कि मैं तो कबीर साहेब को तब खुदा मानूं जब मेरे सामने इस मुर्दे को जीवित कर दे। साहेब ने सोचा कि यदि यह शेखतकी मेरी बात को मान लेगा और पूर्ण परमात्मा को जान लेगा तो हो सकता है सर्व मुसलमानों को सतमार्ग पर लगा कर काल के जाल से मुक्त करवा दे। सिकंदर लोदी राजा तथा सैकड़ों सैनिक उस दरिया पर विद्यमान थे। तब पूर्ण ब्रह्म साहेब कबीर ने कहा कि शेख जी - पहले आप प्रयत्न करें, कहीं बाद में कहो कि यह तो मैं भी कर सकता था। इस पर शेखतकी ने कहा कि ये कबीर तो सोचता है कि कुछ समय पश्चात यह मुर्दा बह कर आगे निकल जाएगा और मुसीबत टल जाएगी। साहेब कबीर ने उसी समय कहा कि हे जीवात्मा! जहाँ भी है कबीर हुक्म से इस शव में प्रवेश कर और बाहर आजा। तुरंत ही वह बारह वर्षीय लड़का जीवितहो कर बाहर आया और साहेब के चरणों में दण्डवत् प्रणाम की। सब उपस्थित व्यक्तियों ने कहा कि साहेब ने कमाल कर दिया। उस लड़के का नाम ‘कमाल‘ रख दिया तथा साहेब ने उसे अपने बच्चे के रूप में अपने साथ रखा। इस घटना की चर्चा दूर-2 तक होने लगी। कबीर साहेब की महिमा बहुत हो गई। लाखों बुद्धिमान भक्त आत्मा एक परमात्मा (साहेब कबीर) की शरण में आ कर अपना आत्म कल्याण करवाने लगे। परंतु शेखतकी अपनी बेईज्जती मान कर साहेब कबीर से ईष्र्या रखने लगा। — Sat Sahib ji

राम का मरम कबीर ने जाना


🙏राम राम करता सब जग फिरे । राम न पाया जाये ।। रामन लोग खिलौना माना । राम का मरम कबीर मन जाना ।। एक बार कबीर साहब किसी के घर कथा करने गये कबीर साहब ने कथा के दौरान बताया कि राम राम जपने वाला संसारिक बंधनो से आजाद हो जाता है इस बाणी को सतसंग मे बैठे लोगो ने सुना या नही सुना मगर उस घर मे एक तोता पिजडे मे बैठे ध्यान से सुन रहा था कबीर साहब के चले जाने के बाद तोता राम राम रटता रहा कि सायद मै इस छोटे से पिजडे से आजाद हो जाऊ पिजडा तो संसार से बहुत छोटा है लेकिन तोता आजाद नही हुआ उसी घर मे कथा करने के लिये कबीर साहब कुछ दिनो बाद पुनः आये तो तोते ने कबीर साहब को बोला बाबा जी आप लोगो को मूर्ख बनाना बंद करे मैने उस दिन से लगातार राम नाम जोर जोर से रटा परन्तु मै आजाद नही हुआ तोते की बात को सुनकर बाबा जी ने कहा तोते जैसे मैने कहा था वैसे तुमने नही जपा सुन कैसे जपना है लाख नाम संसार के ताते मुक्ति न होय आदि नाम जो "गुप्त" जप बूझै बिरला कोय... --संत सहजो बाई किसी भी कार्य को अगर युक्ति पूर्बक किया जाये तभी अंजाम मिलता है कबीर साहब ने कहा सुन तोते आज से अंतरध्यान होकर राम नाम का जप करना अगर फिर भी पिजरे से आजाद नही हुऐ तो मै अपनी फकीरी छोड दूंगा तोते ने ठीक वैसे ही किया कैसे ?? आख कान मुंह झापकर नाम निरंजन ले अंदर का पट तब खुले बाहर का जब दे {यानी बंद कर} तोते ने ठीक इसी युक्ति अनुसार राम नाम का जप करने लगा एक दो दिन बाद तोते के मालिक को लगा कि तोता मर गया न बोले न डोले न कुछ खाये पिये अतः मालिक ने तोते को पिजडे से निकालकर बाहर फेक दिया फेकते ही तोता हवा मे उडा और बोला कबीरा तेरा रामनाम सत्य है जो कोई करै मन चितलाये.. भावार्थ बिधि पूर्बक किया गया हर एक कार्य सफल होता है.. 🌷🙏 जय बन्दी छोड़ की 🙏🌷

यह मानव जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए मिला है


यह मानव जीवन अपनें परम पिता परमेश्वर की प्राप्ति के लिए मिला है! क्योंकि यह दुनिया हमारी नहीं है इए तो काल भगवान ज्योतिनिरन्जन की है! जो कि रोज एक लाख शरीर धारी आत्माँओं को तप्तशिला पर भुन कर खाता है व रोज सवा लाख पैदा करता है! यह ब्रह्मा विष्णु शिव इन तीनों का बाप और दुर्गा का पती है! इसनें शपथ ली थी कि अपनें वास्तविक रूप किसीके सामनें नहीं आऊँगा, इसके लिए कोई कितना भी जप तप करे! आश्चर्य करनें वाली बात यह है कि इसका जाप करनें वाला मन्त्र ओम् है! यही कारण था कि ओम् जाप करते करते श्रिषियों नें अपनें शरीर तक गला दिये लेकिन भगवान नहीं मिला, और वो विचारे श्रिषि अपना अनुभव पुराणों में लिखकर चले गये, कि भगवान निराकार है, इसी को पढकर इए दुनिया आज तक बेबकूफ बनी रही और हम अपनें परम पिता परमेश्वर से कोशों दूर हो गये, और यह बात विद् पिरमांणों सहीत मुझे सत् गुरू रामपाल जी महाराज के शरण में जानें के बाद पता चली, और वो पिरमाण गुरू जी नें कुरान शरीफ, बाईबल, अथर्वेद, सामवेद, रिग्वेद, यजुर्वेद, श्रीमद् भगवद् गीता से खोलकर दिखाए, और उन्होंनेें यह सिध्द कर दिया कि सबका मालिक एक है वो कहाँ रहता है कैसे मिलेगा वो भक्तिविधी इस काल की दुनिया से छुटकारा पानें के लिए मानव को दी है, जिससे हम अपनें निज घर सतलोक पहुच सकेगें, जहाँ हमारे तेजपुन्ज के शरीर हैं, जन्म का कष्ट बुढापे का कष्ट बीमारी, लडाई झगड़ा यह सब नहीं है वहाँ पर हम सदा सुखी रहते हैं! यह सब मैनै जो लिखा है इसे पढ़कर आप जी के मन में शंकाएं भी पैदा हुई होगीं, लेकिन इसके लिए आप जी से हाथ जोड़कर विनती है एक बार सत् गुरू रामपाल जी महाराज द्वारा लिखी हुई ज्ञानगंगा पुस्तक पढ़कर अनुसरण जरूर करें, आपकी शंकाओं का समाधान पिरमाणों सहित उसी पस्तक से हो जायेगा! प्लीज आप इए ना देखना कि हमारे गुरूजी जेल में है तो वो गलत है, क्योंकि जो सत्य का मार्ग दिखाता है दुनिया उसके खिलाफ होती है लेकिन जीत हमेसा सत्य की ही होती है, इस बात की गबाही हमारे ही पुरानें इतहासों में मिलती है, हमारी पूरे सन्सार से विनती है कि इस थोड़ी सी बात के पीछे परमात्मां से मूँह न मोड़ो, अगर आपका इए अनमोल मानव जीवन इस काल छीन लिया तो सिवाय पछतानें के अलावा आपके पास कुछ भी नहीं बचेगा! मानुष जन्म दुर्लभ है इए मिले न बारम्बार, जैसे पेड़ से पत्ता टूट गिरै बहूर न लगता डारि! समझदार के लिए संकेत ही काफी है! सत् साहेब

भक्ति करना कोई बालकों का खेल नही

भगती करना इन नकलियों ने बालको का खेल बना दिया ! बस सुबह शाम दो मिन्ट मदिंर मस्जिद में गऐ हो गया बेड़ा पार या किसी को दो चार रूपये दान दे दिया ! बाद में सारा दिन लूट खसोट चोरी डाके रिश्वतखोरी में लगे रहते है ! मदिंर में होते है उस टाईम इन से शरीफ धरती पर कोई नही होता ! अरेे भाई ये कोई भगती नही है भगती कैसी होती है ये संत रामपाल जी महाराज के वचन सुने फिर पता चलेगा भगती किसको कहते है ! ड्रामे बाजी और शास्त्रविरूद्ध साधना में कुछ नही रखा !! यदि आप शास्त्रों के अनुसार भक्ति नहीं कर रहे तो उस भक्ति का कोई लाभ नहीं, चाहे करो या ना करो। ये बात हम नहीं हमारी पवित्र गीताजी कह रही हैं। गीता अध्याय नं. 16 का श्लोक नं. 23 यः, शास्त्रविधिम्, उत्सज्य, वर्तते, कामकारतः, न, सः, सिद्धिम्, अवाप्नोति, न, सुखम्, न, पराम्, गतिम्।। अनुवाद: जो पुरुष शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न परम गति को और न सुख को ही। शास्त्रानुकुल साधना पाने के लिए सुनिए संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन साधना चैनल पर प्रतिदिन 07ः40-08ः40 तक।

मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

काल के 21 ब्रह्मांड यानी माया देश में आगमन


जब भी प्राणी का मनुष्य-योनी में जन्म लेने का समय आता है। तब वह पिता के वीर्यकण के द्वारा माता के "रज' में मिलकर उदर में पड जाता है। वहाँ पर एक रात्रि में कँवल बन जाता है। पाँच-रात्रियों में गोलाकार-अण्ड बन जाता है। तथा दस रात्रियों में बेर के मानिन्द-कठोर हो जाता है। अण्डज-प्राणियों का अण्डा बन जाता है। एक-मास पश्चात् उसका सिर बन जाता है। दो-महीनें में उसके हांथ-पाँव आदि बन जाते है। तीसरे महीनें में अस्ति, चर्म, स्त्री-पुरूष के चिह्न, नख, रोम आदि बन जाते है। चौथे-महीनें में सातों धातुएँ उत्पन्न हो जातीं है। पाँचवें-मास में क्षुधा-पिपासा आदि का ज्ञान होता है। छटवें-महीनें में वह झिल्ली-युक्त होकर दाहिनी-कोख में चमकने लखता है। उस समय वह माता के भोजन तथा जल, विष्ठा आदि में पडा "यातना-भोगता" है। उसके अंग कोमल-कमल होते है। वह किटाणुओं द्वारा तथा माता के खाये हुए चरपरो, लेह, अम्ब भोजन् से उसे महान-पीडा होती है। वह पिंडात्मक-प्राणी-प्रकृतिरूप-माया के उदर के बन्धन में कसा रहकर तडफडाने लगता है। उस क्षण् #भगवान्" की प्रेरणा से उसे स्मरण्-शक्ति उत्पन्न हो जाती है। और वह उस समय अपने सौकडों-जन्मों को स्मरण् करके रोने लगता है। व्याकुल होने लगता है। सातवें-महीनें में उसकी विवेक-शक्ति जाग्रत हो जाती है। वह प्रसूति-वायु से प्रेरित होकर इधर-उधर घूमने लगता है। उसे गर्भ में अति-कष्ट प्राप्त होता है। तब वह #परमात्मा" से प्रार्थना करता है। #जीव_कहता_है; हे महान-ईश्वर ! मैं बडा पापी हुँ। मुझे इस अधोगति से बाहर निकालिये। आप ही इस संसार के उत्पत्ति-कर्ता है। आप अविकारी, अविनाशी तथा माया से रहित है। मैं आपको प्रणाम् करता हुँ। मैं अहंकार, इँद्रिय आदि गुणों से युक्त हुँ। और आपप्रकृति और पुरूष' के नियन्ता होने के कारण् इन दोनों से परे है। सर्वज्ञ है। माता का उदर साक्षात् मल-मूत्र तथा रूधिर का कुण्ड है। मैं इस नरक में पडा हुआ कष्ट भोग रहा हुँ। हे परमात्मा ! आप मुझ दीन को यहाँ से शीघ्र निकालिए। हे दिनबन्धु ! मै निरंतर आपका भजन् करूँगा। तथा आप ही की शरण् में रहुँगा। उस संसार-कष्ट से तो यह उदर का कष्ट ही ठीक है। पॄथ्वि पर गीरते ही आपकी-माया-जीव को घेर लेती है। मुझे ऐसा मार्ग सुझाऐं जिससे मैं संसार-चक्र से मुक्त हो जाऊँ? इस तरह प्रार्थना करते हुऐ उदर-वायु उसे बाहर ढकेल देती है। इस तरह वह बारह आकर छटकटाने लगता है। पॄथ्वि में आते ही उसका सारा-ज्ञान लुप्त हो जाता है। और वह रोने लगता है। श्नै: श्नै: प्रकृति में स्थित अन्य जीव-संबंधि माया में फँसे मायामय लोग उस बालक को मोह लेते है। और वह हँसनें लग जाता है। इस प्रकार उसका बालपन, कौमाराव्सथा, समाप्त होने पर #युवा हो जाता है। और अज्ञानवश कामासक्त होकर #माया के विषय-वासनाओं में लीन हो जाता है। उदर में "भगवान्" से कि हुई प्रतिज्ञा उसे भुल जाती है। वह अपनी ईच्छा-शक्तिके लिए अनेक पाप करता है। अविद्या में फँसकर कर्मसुत्रमें बंधता जाता है। वह ब्रह्म की वैष्णवीमाया-रूपी-स्त्री के चक्कर में ऐसा फँसता है। कि सर्वस्व खो बैठता है। इस प्रकृतिरूपमाया की शक्ति इतनी प्रबल है। कि पॄथ्वी के बडे-बडे भू-विजयी-वीरों को अपने वश में कर लेती है। इस हेतु हे जगत्-जीवांतकों #आत्मज्ञान्" की ओर लौटो। *परमात्मा-प्रत्येक-आत्मा* के लौटने की प्रतिक्षा में है। !!!!! परमात्मा कबीर !!!!!

रविवार, 24 अप्रैल 2016

दोगली सरकार का अंत होने ही वाला है।Nearing the end of this government.


भ्रष्ट हरियाणा सरकार व दोगली मोदी सरकार का अंत होने ही वाला है, बस कुछ ही दिनों की तो बात है..... ये जीव हैं, इनको शायद पता नहीं है राजसत्ता की अभिमान में अच्छा बुरा भी भूल चुके है.. मोदी साहब उसकी लाठी में आवाज नहीं होती.. कुछ शर्म है तो करवा दो live CBI जांच हो जाय दूध का दूध, पानी का पानी.. संत रामपाल जी महाराज कोई साधारण इंसान नहीं है. इस बात को तो मोदी साहब.. आप जानते हो न , आपने तो आस्ट्रेलिया और बीस देशों से संत रामपाल जी महाराज को पकड़ने के लिये मदद की गुहार लगाई थी.. और इस बात को स्वीकारा था कि वे कोई साधारण संत नहीं हैं. हमारे भगतों ने तो लाखों लेटर भी भेजे हैं कि भ्रष्ट जजों की जवाब देही तय हो .. लेकिन. अंधेर नगरी चौपट राजा.. मोदी जाग जाओ अभी भी समय है नहीं तो ...समय का इंतजार करो, समय ही बताएगा.. कि संत सताए तीनों जांही, तेज बल और वंश. ऐसे ऐसे कई गए रावण कौरव और कंश.. कहीं आप भी इस गिनती में शामिल हो. कबीर साहेब ,- जो सताए मेरे अंश को, मिटा दूं उसके वंश को.. जागो अब भी समय है संत बहुत दयालु हैं.

गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

Satguru be a necessary condition of the path of devotion.


🙏भगति मार्ग में सतगुरु का होना एक आवश्यक शर्त। परमात्मा की प्यारी आत्माओं, भक्ति के मार्ग में एक अत्यंत ही जरुरी और महत्वपूर्ण भूमिका होता है "गुरु" का, जिसके बगैर हम इस संसार सागर से कतई पार नहीं हो सकते। जबकि तत्वज्ञान के अभाव में अक्सर लोग कह देते है, भगत और भगवान के बीच में गुरु का क्या काम ? बस यही पर आप मार खा जाते है। गुरु महिमा के विषय में गोस्वामी तुलसी दास जी लिखते हैं:- गुरु बिन भव निधि तरई न कोई।जो विरंची शंकर सम होई ।। अर्थात् बिना गुरु के संसार सागर से कोई पार नहीं हो सकता चाहे वह ब्रम्हा व शंकर के समान ही क्यों न हो। यही नानकदेव जी कहते हैं:- गुरु की मूरत मन में ध्याना । गुरु के शब्द मंत्र मन माना ।। मत कोई भरम भूलो संसारी । गुरु बिन कोई न उतरसी पारी ।। परमात्मा प्राप्त कर चुकी मीरा बाई ने कहा है:- पायो जी मैने, राम रतन धन पायो। वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, करि कृपा अपनायो।। पायो जी मैने, राम रतन धन पायो ।। कबीर साहेब ने तो यहॉ तक बताया है :- राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्हूँ भी गुरु कीन । तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन ।। फिर कहा है: गुरु बिन माला, फेरते गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल है, चाहे पूछो वेद पुराण ।। अर्थात् गुरु के बिना किया गया जाप व् दान (भगति) सबकुछ व्यर्थ है। इसलिए भक्ति मार्ग में अब हमें बड़ी गहनता से इस विषय को समझना होगा क्योंकि अब के जो हम चूके तो न जाने कब यह नर तन मिले ना मिले। नर तन मिल भी जाए तो सतगुरु मिले ना मिले क्योंकि : गुरु - गुरु में भेद है, गुरु - गुरु में भाव।सोई गुरु नित बंदिये, जो शब्द लखावै दाव ।। अब हमारे सामने बड़ी सबसे बड़ी विडम्बना है कि हम सतगुरु की परख कैसे करें। क्यों कि हमारे यहाँ तो गुरूओं की बाढ़ सी आई हूई है। तो इस समस्या के निदान के लिए नीचे हर स्तर के गुरुओं की महिमा बताई जा रही है। जिनमें से सतगुरु को पहचानकर और उनकी सही स्थिति को जानकर अपना नैया पार लगाना है : प्रथम गुरु है पिता अरु माता | जो है रक्त बीज के दाता || हमारे माता पिता हमारे प्रथम गुरु हैं | दूसर गुरु भई वह दाई | जो गर्भवास की मैल छूड़ाई || जन्म के समय व बाद में जिसने हमारा सम्हाल किया वह हमारा दूसरा गुरु है | तीसर गुरु नाम जो धारा | सोइ नाम से जगत पुकारा || जिसने हमारा नामकरण किया वह तीसरा गुरु है | चौंथा गुरु जो शिक्षा दीन्हा | तब संसारी मारग चीन्हा || हमें शिक्षा देने वालेअध्यापक चौंथे गुरु कीश्रेंणी में है | पॉचवा गुरु जो दीक्षा दीन्हा | राम कृष्ण का सुमिरण कीन्हा || हमें अध्यात्म से जोड़ने में पॉचवे गुरु का बहूँत ही महत्वपूर्ण योगदान है क्यों कि यही वह सीढ़ी है जहॉ से हम भगवान की ओर प्रथम कदम उठाते हैं और नाना प्रकार के देवी देवताओं (३३करोंड़) को पूजना शुरू करते हैं। नाना प्रकार के व्रत जैसे चतुर्थी, नवमी, एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा आदि व्रतों को करते हूऐ मंदिर, पहाड़, पशु, पक्षी, पेड़, पौधे पूजन के अलावा तीर्थाटन आदि करके खुद को मुक्त मानते हैं।लेकिन उपरोक्त पूजाओं का प्रमाण गीता व् वेदों में न होने से शास्त्रविरुध साधना है।जिस कारण इन पूजाओं का फल गीता जी में व्यर्थ कहा है। (गीता अ.१६ मंत्र २३-२४) इस कारण इन साधनाओं को करके भी शास्त्रविरुध् होने से भगति में हम सफल नही हो पाते। आगे छठवॉ गुरु को समझें : छठवॉ गुरु भरम सब तोड़ा, "ऊँ" कार से नाता जोंड़ा । यह गुरु हमारा भरम निवारण इस आधार पर करता है कि वेद (यजुर्वेद अ.४० मंत्र १५ व १७) और गीता (अ.८ मंत्र १३) में केवल एक "ऊँ" अक्षर ब्रम्ह प्राप्ति (मुक्ति) हेतु बताया गया है। इसके अलावा किसी अन्य देवी देवता की पूजा नही करनी चाहिए। किंतु, इनका यह भक्ति साधना भी पूर्ण लाभदायक नही है। क्योकि गीता ज्ञानदाता (ब्रम्ह) स्वयं गीता में कहता है कि तेरे और मेरे अनेक जन्म हो चुके हैं (प्रमाण- गीता अ.२ मं.१२, अ.४ मं.५ व ९ तथा अ.१० मं.२)। और यह भी स्पष्ट बता दिया कि ब्रम्ह लोक पर्यन्त सब लोक पुनरावृत्ती (उत्पति विनाश) में है (अ.8 म.16) । इसलिए यह गुरू भी पूर्ण नहीं। अब सातवॉ गुरु : सातवॉ सतगुरू शब्द लखाया, जहॉ का जीव तहॉ पहूँचाया । पुन्यात्माओं, इन्हें गुरु नही, अपितु सतगुरु कहा गया है। क्योंकि इनका दिया ज्ञान व भक्ति विधि शास्त्रानुकूल होने से इस लोक और परलोक - दोनो में परम हितकारक है। यह सतगुरु हमें सदभक्ति का दान देकर व हमारा सही ठिकाना बताकर यहॉ काल/ब्रम्ह के २१ ब्रम्हांड से भी और उस पार उस सतलोक को प्राप्त करने की सतसाधना प्रदान करता है जिस मार्ग पर चलने वाला साधक जरा और मरण रुपी महा भयंकर रोग से छुटकारा पाकर उस शास्वत स्थान को प्राप्त करता है, जिस स्थान के बारे में गीता अ.१८ मं.६२ व ६६ में कहा गया है। इसी सतगुरु का संकेत गीता अ.4 के मन्त्र 34 में किया है। और यही सतगुरु ही वह बाखबर है, जिसके बारे में पवित्र कुर्आन शरीफ की सूरत फूर्कानी २५ आयत ५२ से ५९ में भी बताया गया है । अब पुन्यात्माओं, हमें इस सतगुरु/बाखबर की खोज करनी है। दुनिया के सभी संतों, महंतों, गुरुओं को इस पैमाने पर तौलकर देखें तो आपको केवल और केवल एक ही ऐसा संत नजर आएगा जिसके ग्यान का प्रत्युत्तर वर्तमान का कोई भी संत नही दे सका और वह परम संत हैं- "जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज" इस महान संत का आध्यात्मिक मंगल प्रवचन "साधना चैनल" पर प्रतिदिन सायं 07:40 से 08:40 पर प्रसारित होता है/dd direct 32/tata सकाई 191/बिग TV 655/एयरटेल 685/डिश TV 2055/जरुर सुनें और अपना कल्याण कराऐं। अब ज्यादा कुछ कहने को नही बचा।। परमात्मा कहते हैं : समझा है तो सिर धर पॉव, बहूर नहीं रे ऐसा दॉव । सत साहेब👏👏🌹🌹

गीता का ज्ञान। Knowledge of the Gita.


गीता अध्याय 9 के श्लोक 25 में कहा है कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने (पिण्ड दान करने) वाले भूतों को प्राप्त होते हैं अर्थात् भूत बन जाते हैं, शास्त्रानुकूल(पवित्र वेदों व गीता अनुसार) पूजा करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं अर्थात् काल द्वारा निर्मित स्वर्ग व महास्वर्ग आदि में कुछ ज्यादा समय मौज कर लेते हैं। विशेष:- जैसे कोई तहसीलदार की नौकरी(सेवा-पूजा) करता है तो वह तहसीलदार नहीं बन सकता। हाँ उससे प्राप्त धन से रोजी-रोटी चलेगी अर्थात् उसके आधीन ही रहेगा। ठीक इसी प्रकार जो जिस देव (श्री ब्रह्मा देव, श्री विष्णु देव तथा श्री शिव देव अर्थात् त्रिदेव) की पूजा (नौकरी) करता है तो उन्हीं से मिलने वाला लाभ ही प्राप्त करता है। त्रिगुणमई माया अर्थात् तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिव जी) की पूजा का निषेध पवित्र गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 तक में भी है। इसी प्रकार कोई पितरों की पूजा (नौकरी-सेवा) करता है तो पितरों के पास छोटा पितर बन कर उन्हीं के पास कष्ट उठाएगा। इसी प्रकार कोई भूतों(प्रेतों) की पूजा (सेवा) करता है तो भूत बनेगा क्योंकि सारा जीवन जिसमें आशक्तता बनी है अन्त में उन्हीं में मन फंसा रहता है। जिस कारण से उन्हीं के पास चला जाता है। कुछेक का कहना है कि पितर-भूत-देव पूजाऐं भी करते रहेंगे, आप से उपदेश लेकर साधना भी करते रहेंगे। ऐसा नहीं चलेगा। जो साधना पवित्र गीता जी में व पवित्र चारों वेदों में मना है वह करना शास्त्र विरुद्ध हुआ। जिसको पवित्र गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में मना किया है कि जो शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण (पूजा) करते हैं वे न तो सुख को प्राप्त करते हैं न परमगति को तथा न ही कोई कार्य सिद्ध करने वाली सिद्धि को ही प्राप्त करते हैं अर्थात् जीवन व्यर्थ कर जाते हैं। इसलिए अर्जुन तेरे लिए कर्तव्य (जो साधना के कर्म करने योग्य हैं) तथा अकर्तव्य(जो साधना के कर्म नहीं करने योग्य हैं) की व्यवस्था (नियम में) में शास्त्र ही प्रमाण हैं। अन्य साधना वर्जित हैं। देखिए साधना चैनल शाम 7:40 से 8:40 सत् साहेब

message to the whole world


"पूरे संसार के नाम संदेश" ---------------------------- बन्दिछोड़ सतगुरूदेव रामपाल जी महाराज जी की जय आखिर क्यौं एक संत व उनके अनुयाईयो पर टूट पड़ती है पुलिस???????? आखिर क्यौं मोदी राज मे एक निर्दोष संत पर आरोप लगाये जाते हैं मगर सिद्ध नही कर पाती प्रशासन व सरकार???????????????????????????????????????? आखिर क्यौं 900 से अधिक भक्तो को जेल में डाल कर देशद्रोह का आरोप लगाया गया????????????????????????????? लगाया तो सिद्ध क्यौं नही कर पाई 16 महीने बाद भी सरकार?????????????????????? ???????????????????????????? आखिर किसके हाथ की कठपुतली है सरकार??????????????????????????????????. आखिर क्यौं आँसुगैस के गोले दाग कर मार दिये बहनें व बच्चे हरियाणा सरकार ने???? ??? ????? ??? ?? ? ??????????????. आखिर जो भी हुआ, सब के सामने हुआ!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! उत्तर को लपेटने की कोशिश सरकार द्वारा जारी है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! भ्रमित करने की (साजिश) कोशिश सरकार द्वारा जारी है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!. फिर भी सत्य उजागर है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! संसार का सबसे काला दिन जिसने संसार का इतिहास ही बदल दिया 18 Nov 2014 प्रात:10 बजकर 30 मिनट तक सब ठीक था. मगर उसके कुछ देर बाद से शुरू होकर शाम 4:00 बजे तक चलने वाली बर्बरता ने पूरे भारत व संसार को नरकता की और धकेल दिया!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!??????????? ?? ?? ?? ?? एक संत पर अत्याचार करने के कारण पुरी धरती एक बार बनने जा रही है महानरक!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! अनेक भविष्य वक्ताओ( नास्ट्रेडमस, सूरदास जयगुरूदेव, नानकजी, कबीरजी, मिस्र के पिरामिड पर अंकित भविष्य वाणी ) के अनुसार!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! एक सच्चे संत व उनके अनुयाईयो को सताया जायेगा!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! फिर इस संसार मे चारौं ओर तबाही का मंजर होगा!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! यह संसार नरक में तब्दील हो जायेगा, संसार के 1/3लोग व भारत के 1/2 लोग उस तबाही के शिकार हौगे!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! तबाही इतनी भंयकर होगी की चारौं और लाशौं के ढेर दिखाई देगे!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! समुंद्र का पानी लाल हो जायेगा!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! आपसी यूद्ध होने लगेंगे, महामारी का भयंकर प्रकोप होगा संसार में त्राहीमाम- त्राहीमाम मच जायेगी!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! इन सबको वही संत रोकने व भाग्य परिवर्तन की शक्ति रखता है. अब यदि विश्व को बरबाद होने से बचाने, सामाजिक कुरीतियो को मिटाने के लिये अपने आपको व बच्चो को सुखी बनाये रखने के लिये संतजी के अनुयाईयो की मांग " C.B.I. जाँच" को आगे बढाया जाये, नही तो संसार के बिनाश की घडी इंतजार कर रही है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! सावधान?????????????????????????????????? ?????????? ????????? ??????? ?????? फिर मत कहना किसी ने बताया नही!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! यह लेख 100 प्रतिशत सच्चा है, तथा सभी भाई-बहिनौं तक जरूर पहुचायैं जितना हो सके फोरवर्ड करैं. संसार को सबको व खुद को बचाने का यही एकमात्र यही रास्ता है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! सत साहेब ------------------------------- 100% सफलता पाने के लिए अवश्य पढे, परमात्मा की मुफ़्त सेवा का मौका न चूकैं. फ्री पुस्तक के लिए मेरे मेसेज बौक्स में कंटैकट करें या फ्री डाउनलोड करें. Must read "GYAN GANGA" book ,available in all major languages of India also in english & urdu versions. अवश्य पढिये "ज्ञान गंगा" बुक. सभी प्रमुख भारतीय भाषाओ में और अँग्रेजी व उर्दू में भी उपलब्घ ..... GYAN GANGA ( ज्ञान गंगा) डायरेक्ट डाउनलोड लिन्क फ़ौर ईच बूक..... और जानियॆ 100% सत्य आध्यात्मिक तत्वज्ञान... Gita Tera Gyan Amrit http://www.jagatgururampalji.org/click.php?id=1 (1.85 ) देखिए साधना चैनल शाम 7:40 से 8:40

आप शिक्षित हो you are educated.


जागो और सवाल करो इन पाखंडी धर्मगुरुओं से-☄☄ जो इन बिकाऊ मीडिया चैनलो पर दिन रात पागलो की तरह सुनी सुनाई बाते भोंकते रहते है जिनकी बातो का ना कोई सार है ना सारांश। (1)पूछो इन पाखंडियो से जब द्वापर युग में वेदव्यास सहित सभी ऋषि मुनियो ने राजा परीक्षित को ये कहकर भगवत की कथा सुनाने से इनकार कर दिया था कि हम ये कथा सुनाने के अधिकारी नहीं है तो फिर इस कलयुग में तुम्हे किसने भागवत और रामायण का पाठ करने का लाइसेंस दे दिया। (2)पूछो इन पाखंडियो से जब तुम्हारे तीनो भगवान् ब्रह्मा विष्णु महेश स्वयं कह रहे है कि हमारी जन्म और मृत्यु होती है हम पूर्ण भगवान् नहीं है, तो फिर पूर्ण परमात्मा कौन है,कैसा है,कहां रहता है और कैसे मिलता है! (श्री मद् देवी भागवत देवी पुराण 6 वां अध्याय, तीसरा स्कन्द, पेज नंबर 123,) (3)पूछो इन पाखंडियो से जब भगवद् गीता जी मना कर रही है कि व्रत करने वाले, श्राद्ध निकालने वाले और देवी देवताओं की पूजा करने वालो को ना कोई सुख होता है ना ही मरने पर उनकी गति (मोक्ष) होती है। ( 6 वां अध्याय 16 वां श्लोक) (4)पूछो इन पाखंडियो से जिन 33 करोड़ देवी देवताओ को श्री लंका के राजा रावण ने अपनी कैद में डाल रखा था फिर क्यों सदियों से हमसे बेबस देवी देवता पूजवाते आ रहे हैं। (5)पूछो इन पाखंडियो से जिस स्वर्ग के राजा इंद्र ने, रावण ने स्वर्ग पर हमला करके उसे हराने पर अपनी पुत्री की शादी रावण के बेटे मेघनाथ से करके अपने प्राणों की रक्षा की। फिर किसलिए हमें मारने के बाद स्वर्ग भेजने की बात करते हैं। (6)पूछो इन पाखंडियो से, जब दशरथ पुत्र रामचंद्र का जन्म त्रेता युग में हुआ तो फिर सतयुग में राम कौन था। (7)पूछो इन पाखंडियो से श्री कृष्ण का जन्म आज से 5500 वर्ष पहले द्वापर युग में हुआ था । जबकि त्रेता व् सतयुग के इंसान तो जानते भी नहीं थे कि कृष्ण कौन है ! फिर ये पूर्ण भगवान् कैसे हुए! (8)पूछो इन पाखंडियो से ये कहते है कि वेदों में भगवान् की महिमा है। फिर वेदों में कबीर (कविर्देव) के अलावा 33 करोड़ देवी देवताओ, राम, कृष्ण, व् ब्रह्मा विष्णु महेश दुर्गा किसी का भी नाम तक क्यों नहीं है! (9)पूछो इन पाखंडियो से गीता जी अध्याय नंबर 11 के श्लोक 32 मे श्री कृष्ण जी कहते है की अर्जुन मैं काल हुं और सबको खाने आया हुं । श्री कृष्ण अपने को काल कह रहा है फिर ये पाखंडी उसे जबरदस्ती भगवान् क्यों बना रहे है। और भी ना जाने कितने सवाल जिनके जवाब इनके पास नहीं है। अब तक तो आपजी भी समझ चुके होंगे कि संत रामपाल जी के सामने आकर ज्ञान चर्चा करने की क्यों इनकी हिम्मत नहीं होती है। आपजी इन पाखंडियो से पूछेंगे या नहीं, ये तो आपका अपना फैसला होगा। लेकिन हिन्दुस्तान का नागरिक होने के नाते मैं आपसे पूछता हुं। यदि आपजी ने अब भी विचार नहीं किया तो आप पढ़कर भी अनपढ़ रहे। इस शिक्षा से कमाया हुआ धन आपके साथ कभी नहीं जायेगा लेकिन पूर्ण संत की शरण लेकर कमाया भक्ति धन कई गुना होकर आपजी के साथ जायेगा। जब पृथ्वी पर पूर्ण संत आ चुका है तो मत फंसो इन पाखंडियो के जाल में यदि फसे हुए हो तुरंत निकल जाओ वहां से वरना ये स्वयं तो नर्क में जायेंगे ही जायेंगे तुम्हे भी साथ लेकर जायेंगे। और तुम्हारे बच्चों को भी तैयार कर जायेंगे। यदि संत रामपाल जी को जेल में देखकर आप जी को अभी भी शंका हो तो याद करलो त्रेता में रामचंद्र को भी 14 वर्ष तक जेल काटनी पड़ी थी। सीता जी को भी 12 वर्ष तक भूखी प्यासी रावण की जेल काटनी पड़ी थी। द्वापर में श्री कृष्ण का तो जन्म ही जेल में हुआ था। यदि आप इसे उनकी लीला कहते हो तो कोई बड़ी बात नहीं आने वाले समय में संत रामपाल जी का भी इतिहास बन जायेगा। लेकिन उनके चले जाने के बाद उनके आश्रमो में वे नहीं मिलेंगे केवल पश्चाताप मिलेगा। लेकिन अभी समय है। जाग जाओ औरों को भी जगाओ भगवान् आएगा तो कोई सींग लगाकर नहीं आएगा जो अलग ही दिखाई दे। उसे ज्ञान के आधार से पहचानने के लिए ही तो आज आपजी को उसने शिक्षित किया है। 🏻पुनःप्रार्थना है चिंतन अवश्य कीजिये व् औरों को भी इस मैसेज के माध्यम से इन पाखंडियो के पाखंड से सचेत कीजिये।......

गीता ज्ञान दाता कौन???


Must read ========= प्रश्न: गीता का ज्ञान किसने दिया। प्रमाण सहित बताऐं - उत्तर: गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण जी ने नहीं, बल्कि उनके शरीर में सूक्ष्म रूप से प्रेतवत् प्रवेश करके उनके पिता "काल रूपी ब्रम्ह" ने दिया। काल भगवान, जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं अपने व्यक्त रूप में (मानव सदृष्य अपने वास्तविक रूप में) सबके सामने कभी नहीं आऊँगा। (गीता 7.23) उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान कहा।जिसे पूर्ण ब्रम्ह के पूर्ण संत के सिवा कोई नहीं जान सका। प्रमाण: विष्णु पुराण में दो जगह प्रकरण है कि काल भगवान महाविष्णु रूप में कहता है कि मैं किसी और के शरीर में प्रवेश कर के कार्य करूंगा। 1. श्री विष्णु पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित), चतुर्थ अंश, अध्याय दूसरा, श्लोक 26 में पृष्ठ 233 पर विष्णु जी (महाविष्णु अर्थात् काल रूपी ब्रह्म) ने देव तथा राक्षसों के युद्ध के समय देवताओं की प्रार्थना स्वीकार करके कहा है कि मैं राजऋषि शशाद के पुत्र पुरन्ज्य के शरीर में अंश मात्र अर्थात् कुछ समय के लिए प्रवेश करके राक्षसों का नाश कर दूंगा। 2. श्री विष्णु पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित) चतुर्थ अंश, अध्याय तीसरा, श्लोक 6 में पृष्ठ 242 पर श्री विष्ण जी ने गंधर्वाे व नागों के युद्ध में नागों का पक्ष लेते हुए कहा है कि “मैं (महाविष्णु अर्थात् काल रूपी ब्रह्म) मानधाता के पुत्र पुरूकुत्स में प्रविष्ट होकर उन सम्पूर्ण दुष्ट गंधर्वो का नाश कर दूंगा”। 3. श्रीकृष्ण जी काल नहीं थे। वे विष्णु जी के अवतार थे।अगर वे गीता ज्ञान बोलते तो अ.11.32 में यह नहीं कहते कि "मैं काल हूँ" और सबका नाश करने के लिए प्रकट हुआ हूँ। वे तो अर्जुन के समक्ष प्रकट हीं थे।और विष्णु जी का अंश थे जो काल नहीं हैं।इसका सीधा मतलब हुआ कि गीता का ज्ञान "काल ब्रम्ह" ने दिया श्रीकृष्ण जी ने नहीं। 4. तीनों देव ब्रम्हाजी,विष्णुजी एवं शिवजी की माता भगवती दुर्गा जी है। इसीलिए इन्हें अष्टांगी, प्रकृति, त्रिदेव जननी आदि नामों से भी जाना जाता है। इसलिए वे विष्णु जी के अवतार श्रीकृष्ण जी के भी माता हुए।अतः प्रकृति यानि दुर्गाजी श्रीकृष्णजी की पत्नी नहीं हो सकती।क्योंकि वे इनकी माता हैं। परंतु गीता 17.3-5 में गीता ज्ञान दाता ने प्रकृति यानी दुर्गा जी को अपनी पत्नी बताया हैं।जिससे पुनः स्पष्ट हो जाता है कि गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण जी ने नहीं दिया।बल्कि उनके पिता काल ब्रम्ह ने दिया। प्रमाण: गीता 17.3-5 "इस लोक में जितने भी जीव हैं प्रकृति (दुर्गा) तो उनकी माता है और मैं (गीता ज्ञान वक्ता) उनकी योनि में वीर्य स्थापित करने वाला पिता हूँ"। इस श्लोक से प्रमाणित हो जाता है कि a). श्रीकृष्णजी अर्थात् विष्णुजी जी की माता प्रकृति यानी दुर्गा जी है। b) उनके पिता ब्रम्ह हैं। काल रूपी ब्रम्ह। जिन्हें महाविष्णु, महाब्रम्हा, महाशिव या सदाशिव के नाम से भी जाना जाता है।जो त्रिदेव यानी ब्रम्हा विष्णु, एवम् शिव के पिताजी हैं। c). गीता का ज्ञान ब्रम्ह यानी कालरूपी ब्रम्ह ने दिया जो अ.17.3-5 में दुर्गा जी को अपनी पत्नी बता रहा है। अ. 8.13 में अपने को ब्रम्ह बता रहा जबकि अ. 11.32 में अपने की काल कहा है। अधिक जानकारी के लिए पढ़े ज्ञान गंगा पुस्तक या सुने साधना टी वी प्रति दिन सायं 7.40 से 8.40 तक। 100% सफलता पाने के लिए अवश्य पढे, परमात्मा की मुफ़्त सेवा का मौका न चूकैं. फ्री पुस्तक के लिए मेरे मेसेज बौक्स में कंटैकट करें या फ्री डाउनलोड करें. Must read "GYAN GANGA" book ,available in all major languages of India also in english & urdu.go to www.jagatgururampalji.org

क्यों नहीं बोलना चाहिए HAPPY NEW YEAR


क्यों हैप्पी न्यू ईयर नही बोलना चाहिए? आइये अब आध्यात्मिक तरीके से इसे समझते हैं हैप्पी न्यू ईयर,गुड मॉर्निंग,गुड नाईट या किसी को आशिर्वाद न देने में हमारा फायदा:- सतयुग द्वापर त्रेता में हमारे पूर्वज नेक नियति से रहते थे और ज्यादातर परमात्मा से डरने वाले होते थे । इसलिए जो भी भगती वृद्धि उन्हें उनके गुरुओं द्वारा बताई जाती वो उस विधि अनुसार तन मन से समय मिलते ही उसमे लगे रहते थे। क्षमा दया दान विवेक सत्यवादिता ये उस समय के लोगों के आम गुण थे।ॐ नाम तक की निस्वार्थ भगति करने के कारण उनमे जुबान सिद्धि आ जाती थी।श्राप और आशिर्वाद ये उन्ही युगों से चली परम्परा है। वो अगर किसी बीमार के सर पे हाथ रख के ये भी कह देते थे के कोई नही ठीक हो जायेगा तो वो बीमार आदमी राहत महसूस करता था। और हम आज लगभग सभी गुणों से हिन् हो चुके हैं। भगती की बात करते ही आजकल लोग चिडते हैं और परम्परा ढ़ोह रहे हैं हम उन युगों की। वास्तव में आज भी बेसक हमारे पास इस जन्म की भगती कमाई नही है लेकिन कई बार हम पिछले जन्मों की कमाई लेकर पैदा होते हैं और उसे हम किसी को गुड मॉर्निंग कह के ,आशिर्वाद दे के और किसी को हैप्पी न्यू इयर कह के उसको भी बाँट देते हैं।ठीक वैसे ही जैसे किसी पानी के भरे गड़े में निचे छेद कर दिया जाये और पानी डाला ना जाये तो वो कितने दिन चलेगा।वो पिछली पूण्य कमाई खर्च होते ही हमारे बुरे दिन शूरू हो जायेंगे। वरना विचार करें के क्या हमारे हैप्पी न्यू इयर कहने से अगले का पूरा साल खुशी से गुजर जायेगा?। नही, क्योंकि ये पावर तो सिर्फ और सिर्फ पूर्ण परमात्मा या उनके भेजे किसी संत के पास ही हो सकती है क्योंकि उनकी पावर खत्म नही होती।हमे अपनी भलाई और वापिस सतलोक गमन जहां से हम सभी आये हैं वहां जाने के लिए ये पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परम्पराएँ छोड़नी होंगी ,सत्य साधना की खोज करनी होगी। और वो सत्य साधना आजकल बड़ी ही आसानी से उपलब्ध है जो संत रामपाल जी महाराज दवारा 7:40pm से 8:40pm तक साधना टीवी पे दी जाती है। सत साहेब

पूजा के योग्य कौन है? Method of worship


पुण्यात्माओं भक्ति की शुरूवात करने से पहले हमें ये जांच लेना चाहिये की हम जिस को भगवान् मानकर पूज रहे है क्या वो वास्तव में भगवान् है और हमें वे सारे सुख दे सकता है जो हमें चाहिए। 1. जब रामचंद्र जी का राज्य सुख भोगने का समय आया तो उनको स्वयं को 14 वर्ष का वनवाश हो गया। गर्मी सर्दी सहनी पड़ी खाने को समय पर खाना नहीं मिलता था। रहने को टूटी हुई से झोपड़ी बनानी पड़ी जंगली जानवरो का सदा भय बना रहता था। आदि। सोचे........जब रामचंद्र जी स्वयं राज का सुख नहीं भोग सके तो आपजी को कहा से सुख दे सकते है। 2. वनवास में जाते वक़्त उनके माता पिता दशरथ जी व् कौशल्या जी उनको जाने के लिए मना कर रहे थे। लेकिन माता पिता की आज्ञा ना मानकर वे जबरन जंगल में चल दिए और पीछे से उनके पिता का निधन हो गया और माता जी लगभग पागल सी हो गई थी। सोचे.......... रामचंद्र जी बचपन में 4 साल से लेकर 18 वर्ष तक तो सृष्टिकर्ता वाल्मीकि जी के आश्रम में बाण विधा सिखने गए और वहीँ रहे। उसके उपरान्त घर आये तो 14 वर्ष का वनवाश हो गया। वनवास से वापस आये तो उससे पहले बाप की मौत हो चुकी थी व् माता आधी पागल हो चुकी थी। अर्थात जब रामचंद्र जी अपने माता पिता का सुख नहीं भोग सके तो उनकी भक्ति से हमें कैसे माँ बाप का सुख हो सकता है 3......... वनवास के दौरान सीता जी को रावण उठा ले गया अर्थात भगवान् की औरत को एक आदमी उठा ले गया (रावण केवल लंका देश जा एक राजा था और रामचंद्र जी भगवान् विष्णु के अवतार अर्थात स्वयं भगवान्) सीता 10 साल तक भूखी प्यासी रावण से नौ लखाबाग में रही उसके बाद युध्द करके सीता को अयोध्या लाये तो 1 साल बाद एक धोभी के कहने से गर्भवती सीता को जंगल में निकाल दिया और सीता आजीवन जंगल में ही रही। सोचे......... रामचंद्र जी स्वयं पत्नी का सुख नहीं भोग पाये तो उनकी भक्ति से हमें कैसे पत्नी सुख मिल सकता है। 4............ 14 वर्ष के वनवास के समय अपने 2 भाईओ भरत व् शत्रुधन से दूर रहे। और जंगल में ही सीता जी ने लव व् कुश नामक दो बच्चों को जन्म दिया जो आजीवन जंगल में ही उनसे दूर रहे कभी अयोध्या में नहीं आये। सोचे........ रामचंद्र जी स्वयं अपने भाईओ व् पुत्रो का सुख नहीं भोग सके और ना उनको सुख दे सके हो हमें क्या दे सकते है 5......... लंका से सीता को लाते वक़्त राम को सीता के चरित्र पर शंका हुई और सीता को सबके सामने अग्नि परीक्षा देने को कहा । सीता ने अग्नि परीक्षा दी और पवित्र साबित हुई उसके बाद राम ने उसको अपनाया और फिर एक धोबी के कहने मात्र से घर से निकाल दिया। सोचे...... रामचंद्र जी ने अग्नि परीक्षा लेने के बाद भी अपनी पत्नी पर विश्वास नहीं किया। वे 2 रुपए की पांच अगरबत्ती जलाने मात्र से आप और हम पर कैसे विश्वास कर लेंगे। 6......... सीता जी को रावण की कैद से छुड़वाने के लिए राम रावण युध्द में 18 करोड़ सेना का कत्ले आम हुवा था (इतिहास गवाह है) जिसमे सुग्रीव की वानर सेना व् जामवंत की भालू सेना से लेकर भील व् आदिवासी आदि शामिल थे। सोचे......... राम रावण युध्द कोई धार्मिक व् सीमाओ का युध्द नहीं था की जिसमे इतनी सेना मरवाई जाये। अगर भगवान् थे तो अपनी पत्नी को स्वयं छुड़वाकर लाते जिस सीता को छुड़वाने के लिये 18 करोड़ औरतो को विधवा बना दिया दिया करोडो बच्चों को यतीम बना दिया अंत में उसी सीता को जंगल में धक्के खाने के लिए छोड़ दिया। अगर सीता को वापस जंगल में ही छोड़ना था तो क्यों 18 करोड़ सेना का नाश करवाया वो रावण की जेल में ही ठीक थी जहा समय पर खाना तो मिल रहा था। 7......... बाली और सुग्रीव दोनों भाइयो का आपस का सम्पति का विवाद चल रहा था रामचंद्र जी ने धोखे से पेड़ की औट लेकर बाली को बाण से मारा और सुग्रीव को राज गद्दी पर बैठाया। क्यों। सोचे....... बाली को एक वरदान मिला हुवा था यदि कोई आपके सामने होकर युध्द करेगा तो उसकी आधी शक्ति आपके अंदर आ जायेगी और आपको कभी जीत नहीं पायेगा। रामचंद्र को इस बात का डर था की मेरी आधी शक्ति बाली में जायेगी और मै हार जाऊंगा इस लिए धोखे से बाण मार।। बताये बाली भगवान् हुवा या रामचंद्र भगवान् हुवा। सोचे..... हम रामचंद्र जी को मर्यादा पुरषोतम कहते है । एक व्यक्ति को धोखे से पेड़ की औट लेकर मारना कहा की मर्यादा है। सोचे...... सीता जैसी पवित्र औरत को एक धोबी के कहने से घर से निकालना कहा की मर्यादा है। क्या आज आप ऐसा कर सकते है। भगवान् होकर एक औरत के लिए 18 करोड़ औरतो को विधवा बना दिया उनके बच्चों को यतीम बना दिया ये कहा की मर्यादा है। सोचे....... माता पिता के रो रो कर मना करने पर की बेटा वनवास में मत जाओ लेकिन उनकी एक ना सुनना ये कहा की मर्यादा है। सोचे........ सीता के जिद्द कर लेने पर की मुझे ये मृग जिन्दा या मुर्दा लाकर दो। भगवान् होकर उस मासूम व् लाचार पशु को मारने के लिए निकल पड़ा ये कहा की मर्यादा है। सोचे....... रामचंद्र जी द्वारा अश्मेघ में छोड़े गए घोड़े को जब लव व् कुश ने पकड़ लिया तो पूरी अयोध्या की सेना लेकर उन माशूम बच्चों को मारने के लिए निकल पड़ना कहा की मर्यादा है। सोचे..... जब लव व् कुश ने रामचंद्र सहित पूरी सेना को युध्द में हरा दिया टी अपनी हार की शर्मींदगी से वापस अयोध्या ना क जाकर सरयू नदी में राम और लक्ष्मण कूद कर आत्म हत्या कर ली। (इतिहास गवाह है ) सोचे...... आज ये पैसो के लालची नकली पंडित व् गुरु कह देते है रामचंद्र जी ने सरयू नदी में जीवित समाधि लेली और कथा का समापन कर देते है। अरे पैसे के लालची मूर्खो उल्टी सीधी कथा कहानी सुनाकर लोगो को पागल बनाकर अपना पेट भरने वाले मूर्खो अगर जीवित समाधी लेना इतना आशान है तो आप भी लीजिये जीवित समाधी क्योंकि आप रामचंद्र के भक्त हो तो आपको भी उनका ही अनुसरण करना चाहिए और अंत में किसी नदी या गंगा जी में या जमीन में खडडा खोदकर रामचंद्र जी की तरह जीवित समाधी लेनी चाहिए तभी तो आपका मोक्ष होगा।क्योंकि आपके भगवान् का भी तो इसी तरह हुवा था। दोस्तों पहले हमारे पूर्वज अशिक्षित थे और पढ़ने का ठेका केवल इन ब्राह्मणों ने ही ले रखा था। इन्होंने हमारे सद् ग्रंथो को जैसा आधा अधूरा समझा वैसा हमारे अनपढ़ पूर्वजो को सुना कर दान दक्षिणा लेकर अपना पेट पालते थे। लेकिन अब इनकी पोल खुलने लगी है आज हर आदमी शिक्षित हो रहा है अपने सद् ग्रंथो की सच्चाई व् उनमे वास्तव में क्या ज्ञान छुपा है पढ़ व् समझ रहा है। अब शिक्षित समाज इनके पाखंड व् आडम्बरो में नहीं आने वाला है। विशेष। आज हम किस ख़ुशी में दीवाली मनाये। 😔😔😔😔😔😔😔 ? क्या सीता ने कभी दीवाली मनाई ? क्या राम ने कभी दीवाली मनाई ? क्या उनके माता पिता ने कभी दीवाली मनाई ? क्या उनके खानदान में किसी ने दीवाली मनाई 😄😄😄😄😄😄😄😄😄 जरा सोचे क्या हम वास्तव में उस परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ रचना मानव है मानव वो है जिसमे मानवता हो दया प्रेम हो लेकिन आज के दिन। हम हजारो के पटाखे फोड़ते समय आनंद का अनुभव करते है और किसी जरूरत मंद के मदद मांगने पर कहते है अभी हाथ टाइट चल रहा है सारे नियम कायदे कानूनों को टाक में रखकर पर्यावरण की ऐसी की तैसी कर देंगे। और पर्यावरण दिवस पर हरे हरे पोधो के बैनर हाथ में लेकर सड़को पर लोगो को सन्देश देते फिरते है आज लोगो के घर घर जाकर गले मिलते है प्यार प्रेम से रहने के वादे करते है। और अगले ही दिन सड़को पर जरा से साइड की बात को लेकर हाथा पाई करते है। लक्ष्मी की फ़ोटो खरीद कर पूजा करते है धन सम्पदा के लिए। अगले ही दिन उस लक्ष्मी (25 रुपए) को बेच देते है ठेके वाले को दारु के एक पव्वे के लिए। 🙈आज का दिन पैसे वालो के लिए दीवाली और गरीब के लिए दिवाला है🙈

56 करोड़ यादव कटकर मर गये


" श्री कृष्ण जी के समक्ष सभी यादव आपस में लड़कर मर गए थे जो कुछ बचे थे,उनको स्वयं श्री कृष्ण जी ने मूसलों से मर डाले। (प्रमाण:-विष्णु पुराण अ.37 पांचवा अंश पृष्ठ 409 से 414 तक) एक मछियारे शिकारी ने श्रीकृष्ण जी के पैर के तलुए में विषाक्त तीर मारकर वध किया। श्रीकृष्ण जी के शरीर का द्वारिका से बाहर वहीँ पर अंतिम संस्कार किया था ।उनके शरीर को गड्ढा खोदकर पांडवों ने दबाया था। उस स्थान पर वर्तमान में श्री द्वारकाधीश का मंदिर बना है । कुछ समय बाद श्रद्धालु उस यादगार को देखने जाने लगे।फिर वहां पर पूजा प्रारंभ हो गई । वि.स 1505 (सन 1448) में कबीर परमेश्वर जी द्वारिका में गए।समुद्र के किनारे जहाँ गोमती नदी सागर में आकर मिलती है,उसके पास एक बालू रेत के टीले(कोठा)पर अर्थात मिट्टी के ढेर पर बैठकर तीर्थ भ्रमण पर आने वाले श्रद्धालुओं को तत्व ज्ञान सुनाया करते थे । परमेश्वर कबीर जी प्रश्न करते थे कि आप किसलिए आए हैं ? उत्तर होता था कि > द्वारिकाधीश के दर्शन करने आए है।उनकी नगरी को देखने आए है।भगवान के आशीर्वाद लेने आए है । परमेश्वर कबीर जी कहा करते:- एक वैध था और वह नब्ज पकड़ कर रोग जान लेता था।ओषधि देकर स्वस्थ कर देता था। उसकी मृत्यु के उपरांत वैध के शरीर को जमीन में दबा कर अंतिम संस्कार कर दिया।उस स्थान पर एक मंदिर बनाकर यादगार बना दी।यदि वैध की मूर्ती से कोई उपचार के लिए प्रार्थना करे तो क्या होगा ? श्रोताओं का एक सुर में उत्तर :- मूर्ति वैध वाला कार्य थोड़े ही करेगी । प्रश्न :- परमेश्वर प्रश्न करते थे तो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए ? उत्तर श्रोताओं का :- किसी जीवित वैध के पास जाकर अपनी जीवन रक्षा करनी चाहिए, यही उचित है । परमेश्वर कबीर जी कहा करते थे कि हे भोले श्रद्धालुओ!आप इस श्री कृष्ण त्रिलोकी नाथ की मूर्ति से क्या मांगने आये हो ? क्या यह श्री कृष्ण जी की मूर्ति आप का कल्याण कर सकती है ? उत्तर :- कुछ आश्चर्य करते कुछ कहते कि हम गलत कर रहे है । कुछ नाराज होकर उठ जाते । परमात्मा कबीर जी कहा करते थे कि आप द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण की मूर्ति के दर्शन से कल्याण की अपेक्षा कर के आए हो।यहाँ पर श्री कृष्ण का ही सर्वनाश हो गया।आपको क्या प्राप्ति होगी? आत्म कल्याण तथा सांसारिक सुख प्राप्त करना है तो में आप जी को वह शास्त्रानुकूल भक्ति बताऊंगा जिससे आप का कल्याण संभव है । इस प्रकार सत्य की समजकर भ्रमें हुए श्रद्धालुओ को यथार्थ भक्ति प्राप्त हुई । गरीबदास जी महाराज जी ने अपनी अमृतवाणी में कहा है कि:- "मेले ठेले जाइयो , मेले बड़ा मिलाप । पत्थर पानी पूजते, कोई साधू संत मिल जात।। जहाँ बैठ कर परमेश्वर कबीर जी सदोपदेश किया करते थे । उस स्थान पर एक गोलाकार चबूतरा (कोठा) बना रखा है । कहा जाता है कि आज तक सन 1448 से सन 2015 (567) तक उस बालू रेत के टीले (कोठे = चबूतरें नुमा गोल चक्र ) को समुद्र की लहरें ने छुवा भी नहीं। समुद्र में ज्वार भाता आता है । तब भी समुद्र की लहरें उस ओर नहीं जाती । यह कबीर कोठा द्वारिकाधिश के मंदिर के बगल में है ।

कबीर वाणी


सत् साहेब सतगुरु देव की जय Kabir Is God- सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रवान। झूठे गुरुवा मर गए, हो गए भूत मसान।। -गरीबदास जी और संत सब कूप हैं, केते झरिता नीर। दादू अगम अपार है, दरिया सत्य कबीर।। -दादु दयाल जी वाणी अरबो खरवो, ग्रन्थ कोटी हजार। करता पुरुष कबीर, रहै नाभे विचार।। -नाभादास जी साहेब कबीर समर्थ है, आदी अन्त सर्व काल। ज्ञान गम्या से देदीया, कहै रैदास दयाल॥ -रैदास जी नौ नाथ चौरसी सिद्धा, इनका अन्धा ज्ञान। अवीचल ज्ञान कबीर का, यो गति विरला जान॥ -गोरखनाथ जी खालक आदम सिरजिआ आलम बडा कबीर॥ काइम दिइम कुदरती सिर पीरा दे पीर॥ सयदे (सजदे) करे खुदाई नू आलम बडा कबीर॥ -नानक जी बाजा बाजा रहितका, परा नगरमे शोर। सतगुरू खसम कबीर है, नजर न आवै और॥ -धर्मदास जी सन्त अनेक सन्सार मे, सतगुरू सत्य कबीर। जगजीवन आप कहत है, सुरती निरती के तीर॥ -जगजीवन जी तुम स्वामी मै बाल बुद्धि, भर्म कर्म किये नाश। कहै रामानन्द निज ब्रह्म तुम, हमरा दुढ विश्वास।। -रामानन्द जी कबीर इस संसार को, समझांऊ के बार । पूंछ जो पकङे भेड़ की, उतरया चाहे पार ॥ -कबीर साहेब** सत् साहेब..

संत रामपाल जी पर लगे आरोप बेबुनियाद

हिम्मत है तो मेरे गुरु पर लगे आरोप सिद्ध करके दिखाओ हिम्मत है तो मेरे परमेश्वर द्वारा दिए ज्ञान को गलत साबित करके दिखाओ अरे मूर्खों :- समझो दिमाग का प्रयोग करो पूरे ब्रह्माण्ड के धर्म गुरुओं को ललकारने वाला सभी धर्मों के गर्न्थो को खोलकर संगत को शिक्षित करने वाला प्रमाण सहित धर्मगुरुओं को गलत साबित करने वाला छाती ठोक कर अपने आप को परमेश्वर का दूत्त कहने वाले को कोई जेल में कैसे बन्द कर सकता है ? या तो कोई कारण है जिसे ना तुम समझ पाये और ना ज्योति निरंजन जब जगत गुरु जेल से बाहर आएंगे तुम भी पछताओगे और तुम्हारा आका भी रोहतक वाली जिस जेल में सन्त रहा वहां से जेल को ही ट्रांसफर करना पड़ा आज वहां पार्क है । फिर हिसार वाली जेल भी कहाँ रह पावेगी ? खट्टर फटर की तो विसात ही क्या ? हमारी लड़ाई ज्योति निरंजन भगवान से हैं मेरी लड़ाई अज्ञान से है और आखिर जीत मेरी है मेरी संगत की है। सत साहेब

बुधवार, 20 अप्रैल 2016

भवसागर के पक्षी। There are three types of whirlpool bird.


🙏🌹सत साहिब जी🌹🙏 भौसागर के पक्षी तीन प्रकार के होते है, जो कि इस प्रकार है| जगत के पक्षी 👉 ये हमेशा आकाश मे ही उडते रहते है और इनको किसी बात की चिंता और भगवान से डर नही होता है | कहावत है कि अपनी खाल मे मस्त रहते है| पर इनको ज्ञान नही है कि यहा का बाजीगर(काल) एक दिन पंख काट देगा| इनका जीवन उद्देश्य बकवास करना और मौज मस्ती मारना होता है| जगत&भगत पक्षी👉 ये सबसे अजीब पक्षी होते है भौसागर के जो कि आकाश से गिरते है खजुर मे आकर अटक जाते है| हमेशा यही सोच मे रहते है कि आकाश मे वापस जाऊ या धरती पर जाऊ| कहावत है कि धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का| दिलचस्प बात यह है कि इनका उद्देश्य ही नही होता है, खजुर पर जो बैठता है वो कभी आकाश की ओर देखता है तो कभी धरती की ओर | फिर ये भी पंख कटवा लेते है बाजीगर से| भगत पक्षी👉 ये बहुत ही अच्छे पक्षी होते है जो अपनी औकात से परिचत हो जाते है| क्योकि इनको ज्ञान हो चुका होता है कि दाना-पानी धरती पर ही मिलेगा| ना तो खजुर पर अटकने से मिलेगा और ना ही आकाश मे उडने से | इनका उद्देश्य बाजीगर के ही पंख काटकर(काल के जाल) अपने घर(सतलोक) मे जाना होता है| 🙏🌹जय बंदीछोड की🌹🙏

आज हम 21 वीं सदी में जी रहें हैं।


दोस्तों आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं आज आप शिक्षित हैं और आज आपको कोई मूर्ख नहीं बना सकता इसलिए दोस्तों स्वयं परखने की ज़रूरत है क्या सही है और क्या गलत बेहतर यही होगा और हमारा निष्पक्ष भाव होना चाहिए दोस्तों पहली बात तो बिना गुरु के भक्ति हो ही नहीं सकती और दूसरी बात इस धरती पर 100 गुरु में से 99 तो नकली, झूठे, और पाखंडी है क्योंकि इन सब का ज्ञान हमने शास्त्रों के मापदंड से मापकर देखा है और आप भी देखना चाहे देख सकते हैं निष्पक्ष भाव से, दोस्तों इस धरती पर कोई पूर्ण संत है तो वह संत रामपाल जी महाराज हैं क्योंकि उनकी बताई गई साधना शास्त्रविधि अनुसार है और 100% authentic और लाभकारी भी, बाकी सारे धर्म गुरुओं की साधना शास्त्रविरुद्ध है मित्रों यहां आपको स्वयं परखने की जरूरत है क्योंकि आज तक हम दूसरे के बहकावे में आकर मूर्ख बनते रहे। श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है, हे अर्जुन जो पुरुष शास्त्रविधि को त्याग कर मनमाना आचरण करता है मनमानी पूजाऐं करता है उसको ना सुख न तो सिद्धि और ना ही परम गति ही प्राप्त होती है इसलिए हे अर्जुन कर्तव्य और आकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है इसलिए शास्त्र विधि अनुसार साधना करनी चाहिए

क्या आपको विज्ञान में रूचि है?


सृष्टी के सबसे बड़े वैज्ञानिक : कबीर साहेब जी ________________________________ क्या आपको विज्ञान में रूचि है? ________________________________आम आदमी की विज्ञान में रूचि हो या ना हो, लेकिन वह भी वैज्ञानिक खोजों के प्रति काफी उत्सुक रहता है. हम जिन वैज्ञानिकों या खोजों के बारे में जानते है, वह मात्र हमारे एक बह्माण्ड के आस-पास ही केन्द्रित है. लेकिन क्या आपको मालूम है...,हम जिस ब्रह्माण्ड में रहते हैं, ऐसे पूरे 21 ब्रह्माण्ड मौजूद हैं और इन 21 ब्रह्माण्डों में हमारे ब्रह्माण्ड के जैसे ही रचना मौजूद है. वहाँ भी हमारे जैसे मनुष्यों का वास है. नदी है...पहाड़ है...झरने हैं...जानवर हैं...पक्षी हैं...सब कुछ है, जो भी हमारे ब्रह्माण्ड में मौजूद है. कबीर जी के दोहे हम बड़े चाव से पढ़ते है और तारीफ भी करते है.....लेकिन क्या कभी हमने इस ओर ध्यान दिया की उन्होंने असंख्य ब्रह्माण्डों के बारे में विस्तृत जानकारी दी है. ....तो चलिये चलते हैं, उस अनंत ज्ञान की ओर, जो कबीर जी हमारे लिये छोड़ गये हैं... चलिये समझते हैं कबीर जी के उस ज्ञान को जो वर्षो से किताबों में बंद है. उस ज्ञान को बाँटा जा रहा है सतगुरू रामपाल जी महाराज के द्वारा______ जन-जन के लिये उपलब्ध ज्ञान______ इस अमृत ज्ञान की वर्षा में भींगकर आप भी तृप्त हो जायेंगे________________ *****कबीर परमेश्वर का ज्ञान : आपके लिये, आपके घर तक***** (देखना ना भलें साधना चैनल पर रोज शाम 7:40 बजे कबीर जी की अनमोल वाणियों का सार-संदेश) ///पूर्णब्रह्म सतगुरू रामपाल जी महाराज की जय/// ######सत साहेब#####

गायत्री मंत्र की सच्चाई


#गायत्री मंत्र हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध मंत्रों में से एक है। माना जाता है की ये मंत्र #तैत्तिरीय #आरण्यक नामक ग्रन्थ से लिया गया है, और यही वो ग्रन्थ है जिसमें इस मंत्र का गलत वर्णन किया गया है। जबकि वास्तविक सही मंत्र यजुर्वेद में वर्णित है, और इसके सामने #ॐ नहीं है। इस मंत्र में "ॐ" का कहीं भी कोई उल्लेख नहीं है। वास्तव में "ॐ" लगाने से ये मंत्र उनुपयोगी हो जाता है। वास्तविक मंत्र - "#यजुर्वेद अध्याय 36 मंत्र 3" #भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात्॥ अर्थ - वेद ज्ञान दाता ब्रह्म कह रहा है की (स्व:) अपने निज सुखमय (भुव:) अंतरिक्ष अर्थात सतलोक में (भू:) स्वयं प्रकट होने वाला पूर्ण परमात्मा है। वही (सवितु:) सर्व सुख दायक सर्व का उत्पन्न करने वाला #परमात्मा है। (तत्) उस परोक्ष अर्थात अव्यक्त साकार (वरेण्यम) सर्वश्रेष्ठ (भर्ग:) तेजोमय शरीर युक्त सर्व सृष्टि रचनहार (देवस्य) परमेश्वर की (धीमही) प्रार्थना, उपासना, #शास्त्रानुकूल विधि से करें, (य:) जो परमात्मा सर्व का पालन करता है, वह (न:) हम को भ्रम रहित (धीय:) शास्त्रानुकूल सत्य भक्ति, बुद्धिमता अर्थात सदभाव से करने की (प्रचोदयात) प्रेरणा करे। पवित्र #गीता के अध्याय 8 श्लोक 13 के अनुसार "#ॐ" मंत्र केवल "ब्रह्म" की प्राप्ति का मंत्र है, और हम जानते हैं की वेदों में "परम अक्षर ब्रह्म" अर्थात "पूर्ण परमात्मा" की महिमा का वर्णन किया गया है । यजुर्वेद के इस मंत्र में भी सर्व शक्तिमान, पूर्ण ब्रह्म #कबीर परमेश्वर की प्रशंसा की गयी है, इसलिए इसके आगे ब्रह्म का मंत्र(ॐ) लगाना ऐसा है, जैसे "प्रधान मंत्री" को "मुख्य मंत्री" कह कर उनका अपमान करना। सत साहेब

मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

गुरू का आदेश सर्वोपरि है।


कागभुसंड जी अपने पूर्व जन्म की कथा गरूड़ देव को सुनाते हुए बताते हैं- एक बार जब वे कथा कर रहे थे तब उनके गुरूजी उनके सामने से चले गए पर कागभुसंड जी ने अभिमानवश खडे होकर गुरूदेव का अभिनंदन नहीं किया। इस पर उनके इष्ट देव शिव जी को इतना क्रोध आया कि उन्होने आकाशवाणी कर कागभुसंड जी को एक साल तक नरक भोगने का श्राप दे दिया। ये भविष्यवाणी गुरूदेव ने भी सुनी। फिर उन्होने शिव जी से श्राप वापिस लेने के लिए मिन्नतें की। गुरूजी की प्रार्थनाओं से प्रसन्न होकर शिवजी ने कहा कि कागभुसंड जी को एक साल तक नरक में रहने का श्राप तो भोगना ही पडेगा परन्तु मेरी कृपा से वहां यमदूत उन्हें तंग नहीं करेंगे। ऐसा ही हुआ। इष्टदेव यह देखते हैं कि मेरे प्रतिनिधि संत के साथ मेरा भक्त कैसा व्यवहार करेगा। अगर इस संत की जगह मैं होता तो मेरे साथ भी इसका व्यवहार ऐसा ही रहता। इस तरह वह व्यक्ति जो गुरू का आदर नही करता, भगवान के दरबार से रीजेक्ट कर दिया जाता है। #कबीर_परमात्मा_कहते_हैं- गुरू गोविन्द कर जानिए, रहिए शब्द समाए। मिले तो दण्डवत बंदगी, नहीं तो पल पल ध्यान लगाए। जय बन्दीछोड की। सत साहेब जी।

सोमवार, 18 अप्रैल 2016

एक संत ऐसा


एक प्रसिद्ध संत थे जिन की प्रसिद्धि का बोलबाला निरंतर बढ़ता जा रहा था। वे लोगों की बुराई और समाज की दशा को सुधारने का अनमोल कार्य कर रहे थे। उन्होंने सभी धर्म गुरुओं को सादर आमंत्रित किया अपने साथ ज्ञान चर्चा करने के लिए ताकि सभी मिलकर एक परमात्मा को पा सके और यथार्थ भक्ति विधि अपना सकेँ। परन्तु उन नकली धर्म गुरुओं को यह मंजूर नहीं था। उन्हें परमात्मा प्राप्ति की बजाए भक्तों की बढ़ती संख्या ज्यादा अच्छी लगती थी। इसलिए उन्होंने एक योजना बनाई। उस संत को बदनाम करने की योजना। योजना के तहत उस संत को बदनाम किया गया। उन पर मिथ्या आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया। दो साल जेल में रहने के बाद संत बेल पर रिहा हुए। इतने आरोपों के बावजूद उस संत के समर्थक लगातार बढ़ते ही जा रहे थे। उन पर उन झूठे आरोपों का कोई प्रभाव नहीँ पड़ रहा था क्योंकि वह संत व उनके ज्ञान को अच्छी तरह समझ चुके थे। कोर्ट की तारीखें अब भी पड़ती थी। उन संत के केस की सुनवाई करने वाला जज भ्रष्टाचारी निकला। उसने संत से कहा अगर केस फारीक करवाना हो तो 30 लाख रुपए दे दें। इस पर संत ने साफ इनकार कर दिया। संत ने कहा जब मैं अपने शिष्यों को रिश्वत लेने व देने से मना करता हूँ तो मैं स्वयं आप को रिश्वत कैसे दे सकता हूँ। इस पर जज ने कडा रुख करके कहा देख लीजिए आपका आश्रम उठ जाएगा, कलम मेरे हाथ में है। संत ने जवाब दिया कि हम भगवान पर विश्वास करने वाले हैं। हम रिश्वत नहीं देंगे। आपको जो करना हो आप करें। जो भगवान को मंजूर होगा वह हो जाएगा। इस पर बौखलाए जज ने संत की हाजिरी माफी रद्द कर दी। संत ने इस बात के पर्चे छपवा कर सब को बताने की कोशिश की। इस बारे में किताबें तक छपी। संत ने कहा कि इस लालची जज ने जो निर्णय लेना था, वह ये पहले ही ले चुका है अब तारीख पर जाने से कोई फायदा नहीँ। राजा हरिश्चन्द्र ने अपने सत्य की सुरक्षा के लिए अपने राज्य का बलिदान दे दिया......लेकिन अंत मेँ जीत उसी की हुई। हम भी सत मार्ग से पीछे नहीं हटेंगे चाहे अब कुछ भी हो। उस भ्रष्टाचारी जज ने पैसे के लोभ में अंधा होकर उस संत के नोनबेलेबल वारंट जारी कर दिए। संत के समर्थक इस अन्याय को देखकर इसके खिलाफ शांति के प्रदर्शन पर उतर आए। उन्होंने काले कपड़े पहन कर इस भ्रष्टाचारी जज के खिलाफ शान्तिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया तथा हाथ में सफेद झंडे जो शांति का प्रतीक थे लिए हुए थे। जैसा कि सभी जानते है कि मीडिया आग में घी झौंकने का काम करती है। जो मसला आसानी से सुलझाया जा सकता था उसे इन मीडिया कर्मियों ने इतने गलत तरीके से दिखाया कि उस संत को ही सब गलत नजरिए से देखने लगे। जिस भ्रष्ट जज को सजा मिलनी चाहिये थी उसे तो महिमा का पात्र बना दिया गया और जो सतमार्ग पर चला व दूसरों को भी सच्चे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया उन पर संगीन आरोप लगाकर जेल में डाल दिया। परन्तु उस महान संत के अनुयायी समाज को वास्तविकता से परिचित कराने के लिए बहुत प्रयत्न कर रहे हैं। और पूरे देश में शांतिप्रिय रैली धरना करके इस बरवाला केस की CBI जाँच की मांग कर रहे हैं। ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके। इस कार्य के लिए आपका भी सहयोग चाहते हैं.......... आपसे करबद्ध प्रार्थना हैं हमारे केस की CBI जाँच की मांग में हमारा सहयोग दें। जो सरकार दहेज को नहीं रोक पाई, जो सरकार नशा नहीं रोक पाई उसको एक संत के महज विचारों ने रोक दिखाया लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों के कारण संत को परेशान किया गया है। संत बिल्कुल निर्दोष हैं। सरकारों व कुछ जजों द्वारा अलोकतान्त्रिक व असंवैधानिक कार्य किया जा रहा है। इस धटना की अधिक जानकारी के लिए विस्तार से पढ़े..."बरवाला की घटना की सच्चाई".....Pdf Download ...Link :-http://www.rsss.co.in/publications/ आप सभी से करबद्ध प्रार्थना है हमारे केस की CBI जाँच की मांग में हमारा सहयोग दें। आप सभी को सत् साहिब!!!

रविवार, 17 अप्रैल 2016

तीन देवों की जो करते भक्ति उनकी कभी न होवै मुक्ति


परमपिता परमात्मा सतगुरु हमें बताते हैं कि:- जब आज से ६०० वर्ष पहले इस कलयुग में स्वयं परमेश्वर कबीर साहेब आए थे तो उन्होने जो तत्व ग्यान हम तुच्छ जीवों को कहा/सुनाया था वह ज्यों की त्यों आज हमारे सभी सदग्रंथ समर्थन कर रहे हैं | परमेश्वर ने कहा था कि भक्ति अगर शास्त्रानुकूल न हो तो वह इस लोक व परलोक दोनो के लिए व्यर्थ है {गीता अ.१६श्लोक २३-२४} और कहा था कि कबीर, तीन देवों की जो करते भक्ति | उनकी कभी न होवै मुक्ति || इस का प्रमाण (गीता अ.७ श्लोक१२-१५) आगे परमेश्वर ने बताया कि:- सब आए उस एक से, डार पात फल फूल | कबीरा पीछे क्या रहा, गही पकड़ा जब मूल || एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाय | माली सिंचै मूल को तो, फूलै फलै अघाय || अक्षर पुरुष एक पेंड़ है,क्षर पुरुष वाकी डार | तीनों देवा शाखा हैं, पात रुप संसार || इन सभी पदों का उल्लेख पवित्र सदग्रंथ श्रीमदभगवत गीता अ.१५ श्लोक-१से४ व १६-१७ में ज्यों की त्यों मिलता है | जिससे प्रमाणित होता है कि उस समय जो यह तत्वग्यान परमेश्वर कबीर जी द्वारा बोला गया ऐसा ग्यान बताने वाला कोई संत इस धरा/२१ब्रंहांड में नहीं था क्यों कि इस संसार रुपी उल्टे लटके हूए वृक्ष को जड़ से पत्ते तक की व्याख्या कोई भी संत नही कर सका और गीता अ.१५ श्लोक-१ कहती है कि जो इस उल्टे लटके हूए संसाररुपी वृक्ष के सभी विभागों को तत्व से जानता है वह तत्वदर्शी संत है और गीता अ.४ श्लोक-३४ में गीता ग्यानदाता यह भी कहता है कि उस तत्वग्यान को तू तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर उसके बताए अनुसार भक्ति कर | परमात्मा ने कहा है :- कबीर, बंधे को बंधा मिला, छूटे कौन उपाय | कर सेवा निरबंध की, वो पल में लेय छुड़ाय || वो तो स्वयं परमात्मा थे, तत्वदर्शी संत थे, निरबंध थे जो हमें सतभक्ति, सतसाधना बताकर यह सिध्द करके दिखाए कि हमें सिर्फ जड़/मूल (पूर्ण परमात्मा) की ही भक्ति साधना करनी चाहिए | वर्तमान में पूरण परमात्मा के उस सत भक्ति शास्त्रानुकूल साधना को बताने वाला इस धरा में केवल एक ही संत है- "जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज" आप वास्तव में परमात्मा / सतभक्ति / सतसाधना / मोक्ष पाना चाहते हैं तो सत्य को परखिए दुनिया की बातों में न आइये स्वयं जॉचिए अगर आप निष्पक्ष भाव व आत्म कल्याण को उद्देश्य रखकर सत्य को ढूँढेंगे तो परमात्मा आपको सत्य तक पहूँचने में मदद करेगा | बार बार ऐसा अवसर नही आता भक्तों पहचान लो इस संत स्वरुप परमात्मा को | इनके तत्वग्यान का उत्तर आज भी इस धरा में किसी संतों के पास नहीं है | इस तत्वग्यान को धारण करो और अपना कल्याण करो, परमात्मा कहते हैं- यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूँ | गरीबदास ये वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ || समझा है तो सिर धर पॉव | बहूर नहीं रे ऐसा दॉव || ||∆ सत साहेब ∆||

एक ऐसा भक्त समाज सन्त रामपाल जी की अध्यक्षता में


परमेश्वर की रजा से "संत रामपाल जी एक ऐसा भक्त समाज तैयार कर रहे, है जिसको वास्तव में सभ्यता कहा जा सकता है, और हम खुश किस्मत है कि भारत ही वो देश बनेगा जिसका दुनिया में कोई जबाब नहीं होगा! ऐसा समाज जिस में सम्मिलित हर भक्त हर एक नियम का सम्मान करता है । जो उन चीजों को अपने दामन को छूने भी नहीं देता जो बुराई से भरपूर हों! "गम भी उन से आकर कहे भाई मुझे माफ करना में गलत जगह अपना घर बनाये बैठा हूँ" ऐसा समाज जिसमें हर एक नारी का सम्मान बनावटी नहीं,ऐसा समाज जिसमें पाप नहीं,ऐसा समाज जिसमें हर एक व्यक्ति के प्रति सभ्यता का परिचय देते है, कोई भी ऐसी वस्तु नहीं जो नशे से सम्बंध रखती है! भक्तों के पाँव में रहने के लायक भी नहीं,नशा लोगों को ऐसी ऐसी चीजें करवाता है! जिसे सोचकर लोंगों का दिल दहल जाता है, लेकिन संत रामपाल जी का भक्त समाज इस नशे को ऐसे लात मारता है,जैसे कोई फुटवाल हो,क्योंकि "कहता तो हर संत है नशा छोडो लेकिन छोडता कोई नहीं" ऐसे दिखाने के लिए आज जो भी लोग ये कह रहें है,वो ऐसे है वो वैसे हैे!"तो गौर से समझना इस बात को जो में कह रहा हूँ!"जैसे आप कोई भी चीज बाजार में खरीदने (कपडे,गहने,फ्रिज,कूलर,या कोई भी सामान)जाओ तो आप पहले पूछोगे भाई कितने का है! कैसा है कम्पनी का है या नहीं क्या आप बिना जाने बिना तहकीकात करें उसे खरीद सकते है! जाँचोंगें परखोगे तभी तो खरीदोगे"बस में इतना ही कहना चाहता हूँ कि पहले आप संत रामपाल को समझें,जाँचें वो क्या कह रहे है! और क्यों कह रहे है! आज भारत वर्ष में उनके ज्ञान का सामना करना किसी संत के बस की बात नहीं! १.जब मुसलमान धर्म के प्रवक्ता डा. जाकिर नायक ने विश्व के सभी धर्म गुरूओं को चुनौती दी थी के मेरे जैसा ज्ञान किसी के पास नहीं, और है तो' ज्ञान चर्चा करो मुझसे तब सभी संत कहाँ थे अपने आप को संत कहने वालों का ज्ञान कहाँ गया था!"उस समय भारत वर्ष में केवल एक संत रामपाल जी ने उसके चैलेंज को स्वीकार किया था! पर इसकी हिम्मत नहीं हुई ज्ञान चर्चा की । २.भारत के ये संत' भागवत कथा माँ के पेट से सीख कर नहीं आये! इन्हों ने पढा तो वेदों और गीता से है! पर ज्ञान हमें कुछ और दे रहे है और अपने आप को ज्ञानी कह रहे है!जबकि हमारे सदग्रन्थं तो कुछ और ही कह रहें है!आप भी सही ज्ञान समझ सकते है स्वयं पंडित साधारण इन्सान ही है!क्या हम में इतनी बुध्दी नहीं! ३.आज वो समय भी है समझाने वाला भी है,मनुष्य जन्म भी है,ऐसा मौका अपने हाथ से ना खोंये अपने इसी जीवन को सफल बनाये । छोडो इस लोक को जहाँ हमेशा ये जरा(वृध्द अवस्था) मरण (मृत्यु) बना रहेगा करोडों जन्म हो गये यहाँ भटकते हुए यहाँ सबकी दुर्गती बनी ही रहेगी!जैसे हम अपने घर को छोडकर कहीं बाहर चले जाये घूमने के लिए तो वहीं के नहीं हो जाते! हमें लौट कर अपने घर वापस जाना होता है! बस इसी प्रकार हमेें अपने घर वापिस लौटना है!क्योकिं बाहर कितना भी आदमी घूम ले उसे सुख अपने घर में ही मिलता है वो सुविधा अपने घर में ही मिलती है। "कबीर साहिब" "अमर करू सतलोक(अमरलोक)पठाऊँ" "तातें बंदी छोड़ कहाऊँ" सत् साहेब..

600 साल पहले कबीर साहेब ने क्या बताया


परमपिता परमात्मा सतगुरु हमें बताते हैं कि:- जब आज से ६०० वर्ष पहले इस कलयुग में स्वयं परमेश्वर कबीर साहेब आए थे तो उन्होने जो तत्व ग्यान हम तुच्छ जीवों को कहा/सुनाया था वह ज्यों की त्यों आज हमारे सभी सदग्रंथ समर्थन कर रहे हैं | परमेश्वर ने कहा था कि भक्ति अगर शास्त्रानुकूल न हो तो वह इस लोक व परलोक दोनो के लिए व्यर्थ है {गीता अ.१६ श्लोक २३-२४} और कहा था कि कबीर, तीन देवों की जो करते भक्ति | उनकी कभी न होवै मुक्ति || इस का प्रमाण (गीता अ.७ श्लोक१२-१५) आगे परमेश्वर ने बताया कि:- सब आए उस एक से, डार पात फल फूल | कबीरा पीछे क्या रहा, गही पकड़ा जब मूल || एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाय | माली सिंचै मूल को तो, फूलै फलै अघाय || अक्षर पुरुष एक पेंड़ है,क्षर पुरुष वाकी डार | तीनों देवा शाखा हैं, पात रुप संसार || इन सभी पदों का उल्लेख पवित्र सदग्रंथ श्रीमदभगवत गीता अ.१५ श्लोक-१से४ व १६-१७ में ज्यों की त्यों मिलता है | जिससे प्रमाणित होता है कि उस समय जो यह तत्वग्यान परमेश्वर कबीर जी द्वारा बोला गया ऐसा ग्यान बताने वाला कोई संत इस धरा/२१ब्रंहांड में नहीं था क्यों कि इस संसार रुपी उल्टे लटके हूए वृक्ष को जड़ से पत्ते तक की व्याख्या कोई भी संत नही कर सका और गीता अ.१५ श्लोक-१ कहती है कि जो इस उल्टे लटके हूए संसाररुपी वृक्ष के सभी विभागों को तत्व से जानता है वह तत्वदर्शी संत है और गीता अ.४ श्लोक-३४ में गीता ग्यानदाता यह भी कहता है कि उस तत्वग्यान को तू तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर उसके बताए अनुसार भक्ति कर | परमात्मा ने कहा है :- कबीर, बंधे को बंधा मिला, छूटे कौन उपाय | कर सेवा निरबंध की, वो पल में लेय छुड़ाय || वो तो स्वयं परमात्मा थे, तत्वदर्शी संत थे, निरबंध थे जो हमें सतभक्ति, सतसाधना बताकर यह सिध्द करके दिखाए कि हमें सिर्फ जड़/मूल (पूर्ण परमात्मा) की ही भक्ति साधना करनी चाहिए | वर्तमान में पूरण परमात्मा के उस सत भक्ति शास्त्रानुकूल साधना को बताने वाला इस धरा में केवल एक ही संत है- "जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज" आप वास्तव में परमात्मा / सतभक्ति / सतसाधना / मोक्ष पाना चाहते हैं तो सत्य को परखिए दुनिया की बातों में न आइये स्वयं जॉचिए अगर आप निष्पक्ष भाव व आत्म कल्याण को उद्देश्य रखकर सत्य को ढूँढेंगे तो परमात्मा आपको सत्य तक पहूँचने में मदद करेगा | बार बार ऐसा अवसर नही आता भक्तों पहचान लो इस संत स्वरुप परमात्मा को | इनके तत्वग्यान का उत्तर आज भी इस धरा में किसी संतों के पास नहीं है | इस तत्वग्यान को धारण करो और अपना कल्याण करो, परमात्मा कहते हैं- यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूँ | गरीबदास ये वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ || समझा है तो सिर धर पॉव | बहूर नहीं रे ऐसा दॉव || ||∆ सत साहेब ∆||

सत्गुरू पुरुष कबीर हैं


सत् साहेब सतगुरु देव की जय Kabir Is God- सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रवान। झूठे गुरुवा मर गए, हो गए भूत मसान।। -गरीबदास जी और संत सब कूप हैं, केते झरिता नीर। दादू अगम अपार है, दरिया सत्य कबीर।। -दादु दयाल जी वाणी अरबो खरवो, ग्रन्थ कोटी हजार। करता पुरुष कबीर, रहै नाभे विचार।। -नाभादास जी साहेब कबीर समर्थ है, आदी अन्त सर्व काल। ज्ञान गम्या से देदीया, कहै रैदास दयाल॥ -रैदास जी नौ नाथ चौरसी सिद्धा, इनका अन्धा ज्ञान। अवीचल ज्ञान कबीर का, यो गति विरला जान॥ -गोरखनाथ जी खालक आदम सिरजिआ आलम बडा कबीर॥ काइम दिइम कुदरती सिर पीरा दे पीर॥ सयदे (सजदे) करे खुदाई नू आलम बडा कबीर॥ -नानक जी बाजा बाजा रहितका, परा नगरमे शोर। सतगुरू खसम कबीर है, नजर न आवै और॥ -धर्मदास जी सन्त अनेक सन्सार मे, सतगुरू सत्य कबीर। जगजीवन आप कहत है, सुरती निरती के तीर॥ -जगजीवन जी तुम स्वामी मै बाल बुद्धि, भर्म कर्म किये नाश। कहै रामानन्द निज ब्रह्म तुम, हमरा दुढ विश्वास।। -रामानन्द जी कबीर इस संसार को, समझांऊ के बार । पूंछ जो पकङे भेड़ की, उतरया चाहे पार ॥ -कबीर साहेब** सत् साहेब..

पाखण्ड का अन्त


©कबीर की अन्धविश्वास, पाखंड, भेदभाव, जातिप्रथा, हिन्दू, मुस्लिम पर करारी चोट !!© ” जो तूं ब्रह्मण , ब्राह्मणी का जाया ! आन बाट काहे नहीं आया !! ” – कबीर (अर्थ- अपने आप को ब्राह्मण होने पर गर्व करने वाले ज़रा यह तो बताओ की जो तुम अपने आप की महान कहते तो फिर तुम किसी अन्य रास्ते से जाँ तरीके से पैदा क्यों नहीं हुआ ? जिस रास्ते से हम सब पैदा हुए हैं, तुम भी उसी रास्ते से ही क्यों पैदा हुए है ?) कोई आज यही बात बोलने की ‘हिम्मंत’ भी नहीं करता ओर कबीर सदियों पहले कह गए ।। हमे गर्व हैं की हम उस महान संत के अनुयाई हैं । ऐसे महान क्रांतिकारी संत को कोटी कोटि नमन !!! “लाडू लावन लापसी ,पूजा चढ़े अपार पूजी पुजारी ले गया,मूरत के मुह छार !!” – कबीर (अर्थ – आप जो भगवान् के नाम पर मंदिरों में दूध, दही, मख्कन, घी, तेल, सोना, चाँदी, हीरे, मोती, कपडे, वेज़- नॉनवेज़ , दारू-शारू, भाँग, मेकअप सामान, चिल्लर, चेक, केश इत्यादि माल जो चढाते हो, क्या वह बरोबर आपके भगवान् तक जा रहा है क्या ?? आपका यह माल कितना % भगवान् तक जाता है ? ओर कितना % बीच में ही गोल हो रहा है ? या फिर आपके भगवान तक आपके चड़ाए गए माल का कुछ भी नही पहुँचता ! अगर कुछ भी नही पहुँच रहा तो फिर घोटाला कहा हो रहा है ? ओर घोटाला कौन कर रहा है ? सदियों पहले दुनिया के इस सबसे बड़े घोटाले पर कबीर की नज़र पड़ी | कबीर ने बताया आप यह सारा माल ब्राह्मण पुजारी ले जाता है ,और भगवान् को कुछ नहीं मिलता, इसलिए मंदिरों में ब्राह्मणों को दान करना बंद करो ) ‪#‎अन्धविश्वास_पर_कबीर_की_चोट‬ !! ‪#‎हिन्दुओ_पर‬ ”पाथर पूजे हरी मिले, तो मै पूजू पहाड़ ! घर की चक्की कोई न पूजे, जाको पीस खाए संसार !!” – कबीर ”मुंड मुड़या हरि मिलें ,सब कोई लेई मुड़ाय | बार -बार के मुड़ते ,भेंड़ा न बैकुण्ठ जाय ||” – कबीर ”माटी का एक नाग बनाके, पुजे लोग लुगाया ! जिंदा नाग जब घर मे निकले, ले लाठी धमकाया !!” – कबीर ” जिंदा बाप कोई न पुजे, मरे बाद पुजवाये ! मुठ्ठी भर चावल लेके, कौवे को बाप बनाय !! – कबीर ”हमने देखा एक अजूबा ,मुर्दा रोटी खाए , समझाने से समझत नहीं ,लात पड़े चिल्लाये !!” – कबीर ‪#‎मुसलमानों_पर‬ ”कांकर पाथर जोरि के ,मस्जिद लई चुनाय | ता उपर मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय ||” – कबीर ‪#‎हिन्दू_मुस्लिम_दोनों_पर‬ ”हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना, आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।” – कबीर (अर्थ : कबीर कहते हैं कि हिन्दू राम के भक्त हैं और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है. इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सच को न जान पाया।) ‪#‎हिन्दुओ_की_जाति_पर_कबीर_की_चोट‬ ”जाति ना पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान ! मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान !! – कबीर ”काहे को कीजै पांडे छूत विचार। छूत ही ते उपजा सब संसार ।। हमरे कैसे लोहू तुम्हारे कैसे दूध। तुम कैसे बाह्मन पांडे, हम कैसे सूद।।” – कबीर ”कबीरा कुंआ एक हैं, पानी भरैं अनेक । बर्तन में ही भेद है, पानी सबमें एक ॥” – कबीर ”एक क्ष ,एकै मल मुतर, एक चाम ,एक गुदा । एक जोती से सब उतपना, कौन बामन कौन शूद ” – कबीर ‪#‎कबीर_की_सबको_सीख‬ ‪#‎बाकि_समझ_अपनी_अपनी‬ ”जैसे तिल में तेल है, ज्यों चकमक में आग I तेरा साईं तुझमें है , तू जाग सके तो जाग II ” – कबीर मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे , मैं तो तेरे पास में। ना मैं तीरथ में, ना मैं मुरत में, ना एकांत निवास में । ना मंदिर में , ना मस्जिद में, ना काबे , ना कैलाश में।। ना मैं जप में, ना मैं तप में, ना बरत ना उपवास में ।।। ना मैं क्रिया करम में, ना मैं जोग सन्यास में।। खोजी हो तो तुरंत मिल जाऊ, इक पल की तलाश में ।। कहत कबीर सुनो भई साधू, मैं तो तेरे पास में बन्दे… मैं तो तेरे पास में….. – कबीर

मीडिया कितना सच बोलता है


सबके लिए एक जरूरी संदेश... आप सभी जानते है कि Media में और Newspapers में एक बार जो बात आ गई, वो आग की तरह पूरी दुनिया में फैल जाती है ! Media कितना सच बोलता है, इसकी जाँच कोई नहीं करता, क्यूँकि सच कोई जानना नहीं चाहता, मेंहनत कौन करें, क्या करना सच जानकर Media ने जो कह दिया वो ही सच है, आजकल का पढा-लिखा समाज यही सोचता है, सच्चाई की तह तक कोई जाना नहीं चाहता !! मैं एक संत के बारे आपको कुछ बताना चाहूँगा, ये दुनिया में सबसे विवादित संत माने जाते हैं, वर्तमान में झूठा देशद्रोह का केस बनाकर इन्हे जेल भेज दिया गया है, Media ने झूठी खबरें बना-बनाकर इनको बदनाम करने की भरपूर कोशिश की है, दुनिया सच्चाई ना देखकर Media की बेतुकी और बिना सर-पैर की बातों में आकर उस संत को गालियाँ देती है, उनको भला-बुरा कहती है ! लेकिन कहते हैं ना कि सच को कुछ देर दबाया जा सकता है, लेकिन सच को झुठलाया नहीं जा सकता, सच एक दिन बाहर निकल के ही रहता है, वो दिन जल्द ही नजदीक आ रहा है, झूठ का पर्दाफाश होगा और सच सबके सामने होगा !! एक संत की पहचान उसके ज्ञान से होती है, उसकी दी गई शिक्षा के आधार से होती है, सदग्रन्थों में संत के बारे में लिखी पहचान से होती है, ना कि किसी Media या Newspaper की बकवास बातों से, Media अपनी TNP बढाने के लिए एक सच्चे इंसान को झूठा बना देता है और मूर्ख लोग Media को पूरा सच मान लेते हैं ! मैं आप सबसे हाथ जोडकर निवेदन करता हूँ, संत चाहे कोई भी हो उसकी पहचान केवल उसके ज्ञान से करो, किसी Media या Newspaper की बातों में आकर संत को गाली मत दो, क्या पता भगवान किस रूप में धरती पर बैठा हो और उसकी क्या लीला चल रही है कोई नहीं जान सकता !! संत की पहचान करनी है तो एक बार अपने सदग्रन्थों को ध्यान से देखो, धार्मिक किताबों को पढो, जिस संत का ज्ञान इनके अनुसार होगा वो सच्चा संत होगा ! आपके पास कोई भी सदग्रन्थ नहीं है और आप जानना चाहते हैं कि सभी धर्मों के धर्मग्रन्थ क्या कहते हैं, इनके क्या विचार हैं !! जानने के लिए अवश्य पढिये "" ज्ञान-गंगा"" पुस्तक ( इसमें सभी धर्मों के सदग्रन्थों श्रीमदभगवदगीता, चारों वेद, अठारह पुराण, बाईबिल, कुरान, गुरूग्रन्थसाहिब आदि का सारांश है, प्रमाण सहित ) आप सत्संग भी देख सकते हैं साधना चैनल शाम 07.40 से 08.40 तक आपको सारे सवालों का जबाव सत्संग के माध्यम से आपको मिलेगा !! 🙏🏻 🙏🏻 "" सत् साहेब जी ""🙏🏻🙏🏻

शनिवार, 16 अप्रैल 2016

बिना गुरु के मोक्ष संभव नहीं


आखिर क्यूँ ?? कभी सोचा है आपने....?? हम मन्दिर जाते, मस्जिद जाते,चर्च जाते-- फिर भी दुखी 😔😔 हम सभी देवी-देवताओं को पूजते हैं-- फिर भी दुखी और घर में क्लेश 😔😔 हम गुरू भी बनाते हैं-- फिर भी कैंसर, टी.बी., स्वाइन फ्लू, एड्स, कोमा, पथरी, शुगर जैसी आदि खतरनाक बिमारियाँ हमें होती है 😔😔 हम दान भी देते हैं, जो हमारे बाह्मण-पंडित, काजी-मुल्ला बताते है, वो सब करते हैं-- फिर भी हमारी अकाल मौत और गरीबी से तंग, रोजी-रोटी को परेशान 😔😔 हमने व्रत किये, रोजे किये, तीर्थ किये, मक्का-मदीना किये-- फिर भी हमारी आँखों के सामने बाप से पहले बेटे-बेटी की अकाल मृत्यू, पत्नी से पहले पति की मृत्यू, दुर्घटना में पूरा परिवार ही खत्म..😔😔😭😭 Note:- कभी सोचा है:- क्यों होता है ऐसा....आखिर क्यों????? आखिर क्यूँ, आखिर क्यूँ ,आखिर क्यूँ ??????? क्यूँ, क्यूँ, क्यूँ ?????????? आप जानना चाहते हैं, इन सभी सवालों के जबाव...और जीवन की इन सभी समस्याओं से छुटकारा..अर्थात् मोक्ष तो अवश्य देखिये....साधना चैनल शाम 07.40 से 08.40 तक संत रामपाल जी महाराज के अमृत प्रवचन... Note:- संत जी के प्रवचन रोजाना जरूर देखे, क्यूँकि पहली बार देखने से जो शंकाएँ आपके मन में उठेंगी, उन सभी शंकाओं का समाधान प्रवचन रोजाना देखने पर ही होगा... सभी भगत आत्माओं से निवेदन है-- परमात्मा के इस Msg को Facebook, twitter,whtsapp, Newspaper etc. में ज्यादा से ज्यादा Share करें ! सत् साहेब जी..🙏🏻🙏🏻

माता के नवरात्रि

माता की नवरात्रि ,,, जी हाँ पूरे भारत में माता के नवरात्रों का दौर चल रहा है और भोला भला समाज व्रत और जागरण करवा कर अपने उद्धार की सोच रहा हैं पर आप को एक बात बता दें कि इस तरह से आपका उद्धार हो या ना हो पर नकली पुजारियों , पांडो का उद्धार जरूर है, शायद आपको बुरा लगे पर एक बार पोस्ट को पूरा पढ़ लें फिर विचार करें I ,,, हमारे कल्याण का मार्ग हमारे धर्म ग्रंथो और शास्त्रों में लिखा है और गीता जी के अध्याय न. 16 के श्लोक 23 में सपष्ट लिखा हैं कि अर्जुन शास्त्र विधि को त्याग कर जो लोग मनमाना आचरण करते हैं उन्हें कोई लाभ नहीं होता और विचार करने की बात भी हैं कि इन पुजारियों द्वारा प्राचीन काल से ही नवरात्रे और ना जाने कौन कौन से व्रत रखवाएं जा रहे हैं पर ना तो मेरे भारत देश में उन्नति हुयी हैं और ना गरीब का भला हुआ हैं बल्कि और भी ज्यादा पतन हो गया है I , आप सभी अपने आप को पढ़ा लिखा मानते हो बाजार से सब्जी भी लाते हो तो विचार करते हो कि ये खराब न हो तो फिर भगती मार्ग में इतनी सुस्ती क्यूँ कोई जैसा कह देता है कर देते हो विचार करने वाली बात है हमारे पवित्र ग्रन्थ गीता में अर्जुन को श्री कृष्ण जी कहते हैं कि : ,,,, अर्जुन न तो ज्यादा खाने वाले का और न ही बिलकुल न खाने वाले का , और न ज्यादा सोने वाले का और नही ज्यादा जागने वाले का ये योग सफल होता हैं तो फिर व्रत किस लिए I ,,,, एक बात और नवरात्रे तो 9 दिन के होते हैं पर साल में 365 दिन होते हैं बाकी के दिन वो माँ को कैसे मनाते हो और यहाँ तक कि कुछ मुर्ख तो ऐसे हैं सारा साल शराब पीते हैं और इन दिनों में अपने आप को महा ज्ञानी समझ बैठते हैं ये कोई बात हैं I ,,, नानक जी ने गुरु ग्रन्थ साहेब में लिखा हैं कि रखे व्रत ते छोड़े अन्न , ना ओह सुहागन न ओह रन्न II यानी व्रत रखने वाले और अन्न छोड़ने वाले पाखंडी हैं उन्हें भगवान् से क्या लेना ,,,, यहाँ तक कि महात्मा वुद्ध जैसे महापुरुषों ने बारह साल तक व्रत रखा और अंत में एक ही बात बोली : STARVATION COULD NOT LEAD TO SALVATION भूखा मरने से उद्धार नहीं होता I इसलिए मैं अपने पढ़े लिखे भाई बहनों से उम्मीद करता हूँ कि वो इस विषय में सोचे अपने ग्रंथो को पढ़े अगर आप वास्तव में शिक्षित है तो सोचें और अगर नहीं हैं तो किसी पढ़े लिखे से पूछ लें I सत साहेब II