गुरुवार, 28 अप्रैल 2016
जीव हिंसा महापाप है
वास्तविक धन क्या है
कबीर साहेब का गोरख नाथ जी के साथ ज्ञान चर्चा
संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान का पाकिस्तान में भी दिखा असर
कबीर साहेब द्वारा मृत लड़के कमाल को जीवित करना
राम का मरम कबीर ने जाना
यह मानव जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए मिला है
भक्ति करना कोई बालकों का खेल नही
मंगलवार, 26 अप्रैल 2016
काल के 21 ब्रह्मांड यानी माया देश में आगमन
रविवार, 24 अप्रैल 2016
दोगली सरकार का अंत होने ही वाला है।Nearing the end of this government.
गुरुवार, 21 अप्रैल 2016
Satguru be a necessary condition of the path of devotion.
🙏भगति मार्ग में सतगुरु का होना एक आवश्यक शर्त। परमात्मा की प्यारी आत्माओं, भक्ति के मार्ग में एक अत्यंत ही जरुरी और महत्वपूर्ण भूमिका होता है "गुरु" का, जिसके बगैर हम इस संसार सागर से कतई पार नहीं हो सकते। जबकि तत्वज्ञान के अभाव में अक्सर लोग कह देते है, भगत और भगवान के बीच में गुरु का क्या काम ? बस यही पर आप मार खा जाते है। गुरु महिमा के विषय में गोस्वामी तुलसी दास जी लिखते हैं:- गुरु बिन भव निधि तरई न कोई।जो विरंची शंकर सम होई ।। अर्थात् बिना गुरु के संसार सागर से कोई पार नहीं हो सकता चाहे वह ब्रम्हा व शंकर के समान ही क्यों न हो। यही नानकदेव जी कहते हैं:- गुरु की मूरत मन में ध्याना । गुरु के शब्द मंत्र मन माना ।। मत कोई भरम भूलो संसारी । गुरु बिन कोई न उतरसी पारी ।। परमात्मा प्राप्त कर चुकी मीरा बाई ने कहा है:- पायो जी मैने, राम रतन धन पायो। वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, करि कृपा अपनायो।। पायो जी मैने, राम रतन धन पायो ।। कबीर साहेब ने तो यहॉ तक बताया है :- राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्हूँ भी गुरु कीन । तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन ।। फिर कहा है: गुरु बिन माला, फेरते गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल है, चाहे पूछो वेद पुराण ।। अर्थात् गुरु के बिना किया गया जाप व् दान (भगति) सबकुछ व्यर्थ है। इसलिए भक्ति मार्ग में अब हमें बड़ी गहनता से इस विषय को समझना होगा क्योंकि अब के जो हम चूके तो न जाने कब यह नर तन मिले ना मिले। नर तन मिल भी जाए तो सतगुरु मिले ना मिले क्योंकि : गुरु - गुरु में भेद है, गुरु - गुरु में भाव।सोई गुरु नित बंदिये, जो शब्द लखावै दाव ।। अब हमारे सामने बड़ी सबसे बड़ी विडम्बना है कि हम सतगुरु की परख कैसे करें। क्यों कि हमारे यहाँ तो गुरूओं की बाढ़ सी आई हूई है। तो इस समस्या के निदान के लिए नीचे हर स्तर के गुरुओं की महिमा बताई जा रही है। जिनमें से सतगुरु को पहचानकर और उनकी सही स्थिति को जानकर अपना नैया पार लगाना है : प्रथम गुरु है पिता अरु माता | जो है रक्त बीज के दाता || हमारे माता पिता हमारे प्रथम गुरु हैं | दूसर गुरु भई वह दाई | जो गर्भवास की मैल छूड़ाई || जन्म के समय व बाद में जिसने हमारा सम्हाल किया वह हमारा दूसरा गुरु है | तीसर गुरु नाम जो धारा | सोइ नाम से जगत पुकारा || जिसने हमारा नामकरण किया वह तीसरा गुरु है | चौंथा गुरु जो शिक्षा दीन्हा | तब संसारी मारग चीन्हा || हमें शिक्षा देने वालेअध्यापक चौंथे गुरु कीश्रेंणी में है | पॉचवा गुरु जो दीक्षा दीन्हा | राम कृष्ण का सुमिरण कीन्हा || हमें अध्यात्म से जोड़ने में पॉचवे गुरु का बहूँत ही महत्वपूर्ण योगदान है क्यों कि यही वह सीढ़ी है जहॉ से हम भगवान की ओर प्रथम कदम उठाते हैं और नाना प्रकार के देवी देवताओं (३३करोंड़) को पूजना शुरू करते हैं। नाना प्रकार के व्रत जैसे चतुर्थी, नवमी, एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा आदि व्रतों को करते हूऐ मंदिर, पहाड़, पशु, पक्षी, पेड़, पौधे पूजन के अलावा तीर्थाटन आदि करके खुद को मुक्त मानते हैं।लेकिन उपरोक्त पूजाओं का प्रमाण गीता व् वेदों में न होने से शास्त्रविरुध साधना है।जिस कारण इन पूजाओं का फल गीता जी में व्यर्थ कहा है। (गीता अ.१६ मंत्र २३-२४) इस कारण इन साधनाओं को करके भी शास्त्रविरुध् होने से भगति में हम सफल नही हो पाते। आगे छठवॉ गुरु को समझें : छठवॉ गुरु भरम सब तोड़ा, "ऊँ" कार से नाता जोंड़ा । यह गुरु हमारा भरम निवारण इस आधार पर करता है कि वेद (यजुर्वेद अ.४० मंत्र १५ व १७) और गीता (अ.८ मंत्र १३) में केवल एक "ऊँ" अक्षर ब्रम्ह प्राप्ति (मुक्ति) हेतु बताया गया है। इसके अलावा किसी अन्य देवी देवता की पूजा नही करनी चाहिए। किंतु, इनका यह भक्ति साधना भी पूर्ण लाभदायक नही है। क्योकि गीता ज्ञानदाता (ब्रम्ह) स्वयं गीता में कहता है कि तेरे और मेरे अनेक जन्म हो चुके हैं (प्रमाण- गीता अ.२ मं.१२, अ.४ मं.५ व ९ तथा अ.१० मं.२)। और यह भी स्पष्ट बता दिया कि ब्रम्ह लोक पर्यन्त सब लोक पुनरावृत्ती (उत्पति विनाश) में है (अ.8 म.16) । इसलिए यह गुरू भी पूर्ण नहीं। अब सातवॉ गुरु : सातवॉ सतगुरू शब्द लखाया, जहॉ का जीव तहॉ पहूँचाया । पुन्यात्माओं, इन्हें गुरु नही, अपितु सतगुरु कहा गया है। क्योंकि इनका दिया ज्ञान व भक्ति विधि शास्त्रानुकूल होने से इस लोक और परलोक - दोनो में परम हितकारक है। यह सतगुरु हमें सदभक्ति का दान देकर व हमारा सही ठिकाना बताकर यहॉ काल/ब्रम्ह के २१ ब्रम्हांड से भी और उस पार उस सतलोक को प्राप्त करने की सतसाधना प्रदान करता है जिस मार्ग पर चलने वाला साधक जरा और मरण रुपी महा भयंकर रोग से छुटकारा पाकर उस शास्वत स्थान को प्राप्त करता है, जिस स्थान के बारे में गीता अ.१८ मं.६२ व ६६ में कहा गया है। इसी सतगुरु का संकेत गीता अ.4 के मन्त्र 34 में किया है। और यही सतगुरु ही वह बाखबर है, जिसके बारे में पवित्र कुर्आन शरीफ की सूरत फूर्कानी २५ आयत ५२ से ५९ में भी बताया गया है । अब पुन्यात्माओं, हमें इस सतगुरु/बाखबर की खोज करनी है। दुनिया के सभी संतों, महंतों, गुरुओं को इस पैमाने पर तौलकर देखें तो आपको केवल और केवल एक ही ऐसा संत नजर आएगा जिसके ग्यान का प्रत्युत्तर वर्तमान का कोई भी संत नही दे सका और वह परम संत हैं- "जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज" इस महान संत का आध्यात्मिक मंगल प्रवचन "साधना चैनल" पर प्रतिदिन सायं 07:40 से 08:40 पर प्रसारित होता है/dd direct 32/tata सकाई 191/बिग TV 655/एयरटेल 685/डिश TV 2055/जरुर सुनें और अपना कल्याण कराऐं। अब ज्यादा कुछ कहने को नही बचा।। परमात्मा कहते हैं : समझा है तो सिर धर पॉव, बहूर नहीं रे ऐसा दॉव । सत साहेब👏👏🌹🌹
गीता का ज्ञान। Knowledge of the Gita.
message to the whole world
आप शिक्षित हो you are educated.
गीता ज्ञान दाता कौन???
क्यों नहीं बोलना चाहिए HAPPY NEW YEAR
पूजा के योग्य कौन है? Method of worship
56 करोड़ यादव कटकर मर गये
कबीर वाणी
संत रामपाल जी पर लगे आरोप बेबुनियाद
हिम्मत है तो मेरे गुरु पर लगे आरोप सिद्ध करके दिखाओ
हिम्मत है तो मेरे परमेश्वर द्वारा दिए ज्ञान को गलत साबित करके दिखाओ
अरे मूर्खों :-
समझो दिमाग का प्रयोग करो
पूरे ब्रह्माण्ड के धर्म गुरुओं को ललकारने वाला सभी धर्मों के गर्न्थो को खोलकर संगत को शिक्षित करने वाला
प्रमाण सहित धर्मगुरुओं को गलत साबित करने वाला
छाती ठोक कर अपने आप को परमेश्वर का दूत्त कहने वाले को कोई जेल में कैसे बन्द कर सकता है ?
या तो कोई कारण है जिसे ना तुम समझ पाये और ना ज्योति निरंजन जब जगत गुरु जेल से बाहर आएंगे तुम भी पछताओगे और तुम्हारा आका भी
रोहतक वाली जिस जेल में सन्त रहा वहां से जेल को ही ट्रांसफर करना पड़ा आज वहां पार्क है । फिर हिसार वाली जेल भी कहाँ रह पावेगी ? खट्टर फटर की तो विसात ही क्या ? हमारी लड़ाई ज्योति निरंजन भगवान से हैं मेरी लड़ाई अज्ञान से है और आखिर जीत मेरी है मेरी संगत की है। सत साहेब
बुधवार, 20 अप्रैल 2016
भवसागर के पक्षी। There are three types of whirlpool bird.
आज हम 21 वीं सदी में जी रहें हैं।
क्या आपको विज्ञान में रूचि है?
गायत्री मंत्र की सच्चाई
मंगलवार, 19 अप्रैल 2016
गुरू का आदेश सर्वोपरि है।
सोमवार, 18 अप्रैल 2016
एक संत ऐसा
रविवार, 17 अप्रैल 2016
तीन देवों की जो करते भक्ति उनकी कभी न होवै मुक्ति
एक ऐसा भक्त समाज सन्त रामपाल जी की अध्यक्षता में
600 साल पहले कबीर साहेब ने क्या बताया
सत्गुरू पुरुष कबीर हैं
सत् साहेब सतगुरु देव की जय Kabir Is God- सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रवान। झूठे गुरुवा मर गए, हो गए भूत मसान।। -गरीबदास जी और संत सब कूप हैं, केते झरिता नीर। दादू अगम अपार है, दरिया सत्य कबीर।। -दादु दयाल जी वाणी अरबो खरवो, ग्रन्थ कोटी हजार। करता पुरुष कबीर, रहै नाभे विचार।। -नाभादास जी साहेब कबीर समर्थ है, आदी अन्त सर्व काल। ज्ञान गम्या से देदीया, कहै रैदास दयाल॥ -रैदास जी नौ नाथ चौरसी सिद्धा, इनका अन्धा ज्ञान। अवीचल ज्ञान कबीर का, यो गति विरला जान॥ -गोरखनाथ जी खालक आदम सिरजिआ आलम बडा कबीर॥ काइम दिइम कुदरती सिर पीरा दे पीर॥ सयदे (सजदे) करे खुदाई नू आलम बडा कबीर॥ -नानक जी बाजा बाजा रहितका, परा नगरमे शोर। सतगुरू खसम कबीर है, नजर न आवै और॥ -धर्मदास जी सन्त अनेक सन्सार मे, सतगुरू सत्य कबीर। जगजीवन आप कहत है, सुरती निरती के तीर॥ -जगजीवन जी तुम स्वामी मै बाल बुद्धि, भर्म कर्म किये नाश। कहै रामानन्द निज ब्रह्म तुम, हमरा दुढ विश्वास।। -रामानन्द जी कबीर इस संसार को, समझांऊ के बार । पूंछ जो पकङे भेड़ की, उतरया चाहे पार ॥ -कबीर साहेब** सत् साहेब..
पाखण्ड का अन्त
मीडिया कितना सच बोलता है
शनिवार, 16 अप्रैल 2016
बिना गुरु के मोक्ष संभव नहीं
माता के नवरात्रि
माता की नवरात्रि
,,, जी हाँ पूरे भारत में माता के नवरात्रों का दौर चल रहा है और भोला भला समाज व्रत और जागरण करवा कर अपने उद्धार की सोच रहा हैं पर आप को एक बात बता दें कि इस तरह से आपका उद्धार हो या ना हो पर नकली पुजारियों , पांडो का उद्धार जरूर है, शायद आपको बुरा लगे पर एक बार पोस्ट को पूरा पढ़ लें फिर विचार करें I
,,, हमारे कल्याण का मार्ग हमारे धर्म ग्रंथो और शास्त्रों में लिखा है और गीता जी के अध्याय न. 16 के श्लोक 23 में सपष्ट लिखा हैं कि अर्जुन शास्त्र विधि को त्याग कर जो लोग मनमाना आचरण करते हैं उन्हें कोई लाभ नहीं होता और विचार करने की बात भी हैं कि इन पुजारियों द्वारा प्राचीन काल से ही नवरात्रे और ना जाने कौन कौन से व्रत रखवाएं जा रहे हैं पर ना तो मेरे भारत देश में उन्नति हुयी हैं और ना गरीब का भला हुआ हैं बल्कि और भी ज्यादा पतन हो गया है I
, आप सभी अपने आप को पढ़ा लिखा मानते हो बाजार से सब्जी भी लाते हो तो विचार करते हो कि ये खराब न हो तो फिर भगती मार्ग में इतनी सुस्ती क्यूँ कोई जैसा कह देता है कर देते हो विचार करने वाली बात है हमारे पवित्र ग्रन्थ गीता में अर्जुन को श्री कृष्ण जी कहते हैं कि :
,,,, अर्जुन न तो ज्यादा खाने वाले का और न ही बिलकुल न खाने वाले का , और न ज्यादा सोने वाले का और नही ज्यादा जागने वाले का ये योग सफल होता हैं तो फिर व्रत किस लिए I
,,,, एक बात और नवरात्रे तो 9 दिन के होते हैं पर साल में 365 दिन होते हैं बाकी के दिन वो माँ को कैसे मनाते हो और यहाँ तक कि कुछ मुर्ख तो ऐसे हैं सारा साल शराब पीते हैं और इन दिनों में अपने आप को महा ज्ञानी समझ बैठते हैं ये कोई बात हैं I
,,, नानक जी ने गुरु ग्रन्थ साहेब में लिखा हैं कि
रखे व्रत ते छोड़े अन्न , ना ओह सुहागन न ओह रन्न II
यानी व्रत रखने वाले और अन्न छोड़ने वाले पाखंडी हैं उन्हें भगवान् से क्या लेना
,,,, यहाँ तक कि महात्मा वुद्ध जैसे महापुरुषों ने बारह साल तक व्रत रखा और अंत में एक ही बात बोली :
STARVATION COULD NOT LEAD TO SALVATION
भूखा मरने से उद्धार नहीं होता I
इसलिए मैं अपने पढ़े लिखे भाई बहनों से उम्मीद करता हूँ कि वो इस विषय में सोचे अपने ग्रंथो को पढ़े अगर आप वास्तव में शिक्षित है तो सोचें और अगर नहीं हैं तो किसी पढ़े लिखे से पूछ लें I
सत साहेब II
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